नदी उस पार से पढ़ने के लिए रजौली स्थित सरकारी व निजी विद्यालय आने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी हुई बाधित
ग्रामीणों ने की नदी पर पुल निर्माण की मांग
वर्षों से नदी पर पुल निर्माण की मांग के बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधियों, विधायक व सांसदों ने नहीं दिया ध्यान
रजौली। प्रतिनिधि, विश्वास के नाम
विगत एक सप्ताह से रुक-रुक कर लगातार हो रही बारिश से रजौली के धनारजय नदी में बाढ़ आ गई है। जिसकी वजह से नदी के उस पार रहने वाले दर्जनों गांव के लोगों का आम जनजीवन प्रभावित हो गया है। वही नदी के उस पार से पढ़ाई करने के लिए रजौली स्थित सरकारी व निजी विद्यालयों में आने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई भी बाधित हो गई है। जिससे नदी उस पार के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। नदी उस पार के लोगों को रजौली आने के लिए विकल्प के रूप में दूसरा रास्ता एनएच पर सिमरकोल से होते हुए लगभग 4 से 5 किलोमीटर की दूरी तय कर रजौली आना पड़ता है। ऐसे में नदी उस पार से रजौली आने वाले लोगों को काफी ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ते हैं तो वही छोटे-छोटे मासूम बच्चों को नदी उस पार से इस पार पढ़ाई के लिए आना और फिर वापस अपने घर लौटना बहुत ही कष्टकर होता है। रजौली प्रखंड के नदी उस पार के पंचायतों रजौली पूर्वी, धमनी व सवैयाटांड़ पंचायत जाने वाले दर्जनों गांव के ग्रामीणों ने इस धनारजय नदी पर पुल निर्माण कराने की मांग की है ताकि बरसात के दिनों में नदी उस पार के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना ना पड़े।
आपको बता दें कि नदी के उस पार रजौली पूर्वी पंचायत के धुरगांव, झिरझो, पचम्बा, दत्तीटिल्हा, धमनी पंचायत के एकचटवा, करणपुर, छतनी,धमनी, धमनी टोला चतरो, पलाकी, बुढ़ियासांख के अलावा सवैयाटांड़ पंचायत के चटकरी, झलकडीहा, बाराटांड़, सिरिसियाटांड़, सपही, बसरौन समेत लगभग 50 से ज्यादा गांव के लोगों के आने-जाने का यह एकमात्र व्यस्तम रास्ता है। प्रतिदिन इसी रास्ते से होकर हजारों लोग नदी उस पार से इस पार रजौली बाजार समेत विभिन्न सरकारी कार्यों को लेकर प्रखंड कार्यालय रजौली आते हैं तो वहीं सामान्य बीमारियों के मरीजों से लेकर गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने तक के लिए इस नदी से होकर ही अनुमंडलीय अस्पताल रजौली आना पड़ता है। ऐसे में कलाली रोड से पचम्बा को जोड़ने वाला यह रास्ता काफी व्यस्त रहता है।
दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि कई वर्षों से नदी उस पार के ग्रामीणों के द्वारा धनारजय नदी पर पुल का निर्माण कराने की मांग की गई। बावजूद आज तक वर्षों बीत गए। किसी भी जनप्रतिनिधियों, विधायकों व सांसदों ने इस धनारजय नदी पर पुल निर्माण के लिए कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किया। जिसके कारण आज भी नदी उस पर के लोग बारिश के दिनों में नदी में आई बाढ़ से उत्पन्न हालातो का सामना करते हैं। हल्की सी बारिश हुई नहीं कि नदी के उस पार जाने वाले लोग जल्दी-जल्दी अपने घरों को वापस लौट जाना चाहते हैं ताकि किसी समय अगर नदी में बाढ़ आ जाए तो वे आने वाली बाढ़ की चपेट में ना पड़ जाए। प्रत्येक वर्ष बारिश के दिनों में इस नदी में भयंकर बाढ़ आती है। जिससे लगभग 10 फीट की ऊंचाई तक नदी में कई दिनों तक पानी बना रहता है।
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