प्रतिनिधि विश्वास के नाम रजौली:आंख में आंसू का सैलाब और शरीर में दर्द पति के अपने आंखों के सामने मौत होते देख पूरी तरह से टूट चुकी कालो देवी ने रोते-फफकते कहा कि हमनी सबके न खेत हकय सरकार से कोई लाभ नहीं मिला है।बाल बच्चा के पेट पहले खातिर जंगलवा में काम करके जिए हीए हमनी के कोनो शौक नहीं है।इतना दूर जाकर काम कर के सरकार से राशन भी नहीं मिला है।अपनी समस्या को बताते हुए फफक कर रोने लगी और बताया कि घटना के दिन हमलोग सुबह में सभी मिलकर खाना बनाए और खाकर महेंद्र सिंह के माइंस में काम करने के लिए गए थे।सुबह के करीब 8 बज रहा था,हम हमर पति और हमारी बेटी मेलो कुमारी तीनों मिलकर अभ्रख के माइंस में काम करने के लिए उतरे जैसे ही हमलोग अभ्रख निकलना शुरू किया तभी अचानक ऊपर से एक बड़ा सा चट्टान गिरते देखा हम और हमारी बच्ची आगे भाग रही थी और हमारे पति हमलोग से पीछे थे।अचानक एक चट्टान का टुकड़ा उनके सर से आकर लगा और व वहीं पर गिर गए हमलोगों का पैर में भी गंभीर चोट लग गई थी।फिर भी पति को दबे हुए देखा हम और हमारी बेटी उन्हें किसी तरह से खींच कर निकले और शोर करने लगा तो आसपास रहे कुछ लोग आए और मदद किया। जिसके बाद उन्हें बाहर निकाल कर ऊपर लाई तब तक वह मर चुके थे। फिर भी ठेकेदार के द्वारा हमलोगों को प्राथमिक उपचार कोडरमा में कराया गया।कालो देवी ने बताई कि तीनों परिवार मिलकर एक सप्ताह में 1 हजार से 12 सौ रूपया का अभ्रख चुनकर ठेकेदार को देते थे। 12 रूपए किलो के हिसाब से हम लोगों से खरीदता था।अब उनके परिवार में बड़ा घटना घटने के बाद पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।आर्थिक तंगी इतनी है कि उनके परिवार के पास दाह संस्कार करने के लिए रुपया नहीं है।घटना की खबर सुनने के बाद घर पर पहुंचे रिश्तेदार व पड़ोसी अपने समर्थ के अनुसार उनके परिवार को दाह संस्कार करने के लिए कुछ रुपए का मदद किए हैं।उसके बाद जाकर दाह संस्कार में लगने वाले सामग्री और लकड़ी खरीदी गई है।सारों मांझी का दो पुत्र है।बड़ा पुत्र का नाम गुड्डू कुमार एक पुत्र जो पूरी तरह से हाथ पैर से विकलांग है।उसका नाम विनोद कुमार है।यह सभी पिता के मौत के बाद पूरी तरह से टूट चुका है।
प्रतिनिधि विश्वास के नाम रजौली:आंख में आंसू का सैलाब और शरीर में दर्द पति के अपने आंखों के सामने मौत होते देख पूरी तरह से टूट चुकी कालो देवी ने रोते-फफकते कहा कि हमनी सबके न खेत हकय सरकार से कोई लाभ नहीं मिला है।बाल बच्चा के पेट पहले खातिर जंगलवा में काम करके जिए हीए हमनी के कोनो शौक नहीं है।इतना दूर जाकर काम कर के सरकार से राशन भी नहीं मिला है।अपनी समस्या को बताते हुए फफक कर रोने लगी और बताया कि घटना के दिन हमलोग सुबह में सभी मिलकर खाना बनाए और खाकर महेंद्र सिंह के माइंस में काम करने के लिए गए थे।सुबह के करीब 8 बज रहा था,हम हमर पति और हमारी बेटी मेलो कुमारी तीनों मिलकर अभ्रख के माइंस में काम करने के लिए उतरे जैसे ही हमलोग अभ्रख निकलना शुरू किया तभी अचानक ऊपर से एक बड़ा सा चट्टान गिरते देखा हम और हमारी बच्ची आगे भाग रही थी और हमारे पति हमलोग से पीछे थे।अचानक एक चट्टान का टुकड़ा उनके सर से आकर लगा और व वहीं पर गिर गए हमलोगों का पैर में भी गंभीर चोट लग गई थी।फिर भी पति को दबे हुए देखा हम और हमारी बेटी उन्हें किसी तरह से खींच कर निकले और शोर करने लगा तो आसपास रहे कुछ लोग आए और मदद किया। जिसके बाद उन्हें बाहर निकाल कर ऊपर लाई तब तक वह मर चुके थे। फिर भी ठेकेदार के द्वारा हमलोगों को प्राथमिक उपचार कोडरमा में कराया गया।कालो देवी ने बताई कि तीनों परिवार मिलकर एक सप्ताह में 1 हजार से 12 सौ रूपया का अभ्रख चुनकर ठेकेदार को देते थे। 12 रूपए किलो के हिसाब से हम लोगों से खरीदता था।अब उनके परिवार में बड़ा घटना घटने के बाद पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।आर्थिक तंगी इतनी है कि उनके परिवार के पास दाह संस्कार करने के लिए रुपया नहीं है।घटना की खबर सुनने के बाद घर पर पहुंचे रिश्तेदार व पड़ोसी अपने समर्थ के अनुसार उनके परिवार को दाह संस्कार करने के लिए कुछ रुपए का मदद किए हैं।उसके बाद जाकर दाह संस्कार में लगने वाले सामग्री और लकड़ी खरीदी गई है।सारों मांझी का दो पुत्र है।बड़ा पुत्र का नाम गुड्डू कुमार एक पुत्र जो पूरी तरह से हाथ पैर से विकलांग है।उसका नाम विनोद कुमार है।यह सभी पिता के मौत के बाद पूरी तरह से टूट चुका है।
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