- नदी में खोदे गए चुएं में रात भर जमा हुए पानी से कट रही जिंदगी
- टोपा पहाड़ी, फगुनी व टिटहियां के ग्रामीणों की दर्द भरी दास्तां
राहुल कुमार, विश्वास के नाम
साहब, यह केवल चुआं नहीं बल्कि हमारी जिंदगी है। वर्षों से यही हमारी प्यास बुझा रही है। यही हम ग्रामीणों का सहारा है। यह भी नहीं होता तो शायद गांव छोड़ने को मजबूर हो जाते। यह पीड़ा किसी एक-दो व्यक्ति या परिवार की नहीं है, बल्कि नवादा जिले के रजौली प्रखंड क्षेत्र के सवैयाटांड़ पंचायत की टोपा पहाड़ी, फगुनी व टिटहियां के ग्रामीणों की है। वैसे तो ये सभी गांव प्रकृति की खूबसूरत वादियों में बसा है। घने जंगल और पहाड़ियों की गोद में गांव बसे हुए है। लेकिन यही पहाड़ और जंगल उनके लिए अभिशाप बना है। खासकर गर्मी के मौसम में पानी का संकट भयावह हो जाता है।
गांव से कुछ दूर आगे पहाड़ी नदी है। वर्षा हुई तो नदी में पानी का बहाव होता है, अन्यथा सूखा ही रहता है। लेकिन उसी नदी में चुआं खोद ग्रामीण पानी का इंतजाम करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि नदी में चुआं खोद कर छोड़ दिया जाता है। रात भर रिसाव के कारण चुआं पानी से भर जाता है। फिर ग्रामीण उससे पानी लेकर अपनी प्यास बुझाते हैं। यह कोई एक-दो दिनों की परेशानी नहीं है, बल्कि बसरौन की जिंदगी उसी चुएं पर पूरी तरह आश्रित है।
सुबह होते ही बर्तन-गैलन लेकर पहुंच जाते हैं ग्रामीण
इन गांवों में पानी की कठिनाई रोजमर्रा की बात है। सुबह होते ही गांव की महिलाएं व पुरूष बर्तन-गैलन लेकर नदी की ओर दौड़ पड़ते हैं। कटोरी-प्लेट के जरिए चुआं से पानी निकालते हैं और तसला, बाल्टी आदि में पानी भरते हैं। ग्रामीणों की कोशिश होती है कि सभी लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाए, जिससे दिन भर का काम चल जाए। हालांकि जरूरत पड़ने पर दिन में भी चुआं के पास दौड़ लगानी पड़ती है। इस प्रकार लोगों को नींद खुलते ही चुओं की ओर दौड़ लगाना रूटिन बन चुका है। सुबह का दिनचर्या बन चुकी यह स्थिति दिल दहलाने वाली है।
गर्मी के मौसम में कई गुणा बढ़ जाती है पानी की परेशानी
ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी का मौसम उनके लिए आफत बनकर आता है। पानी की समस्या विकराल हो जाती है। बरसात का मौसम पानी की समस्या से निजात तो दिलाता है, लेकिन जिंदगी गंदे पानी पर ही कटती है। बारिश होने पर इधर-उधर पानी जम जाता है। साथ ही अभ्रक खदानों में भी पानी भर जाता है। जिससे प्यास बुझाने में मदद मिलती है। फगुनी गांव में एक कुआं है, जिसमें वर्षा होने पर पानी रहता है। गर्मी में वह कुआं भी मृतप्राय हो जाता है।
तकरीबन पांच हजार की आबादी हो रही है प्रभावित
- मिली जानकारी के अनुसार सवैयाटांड़ पंचायत की बसरौन, टोपा पहाड़ी, फगुनी व टिटहियां गांवों की आबादी तकरीबन पांच हजार की है। जो पेयजल के लिए प्रतिदिन कड़ी मशक्कत करते हैं। वैसे बसरौन गांव स्थित सरकारी स्कूल में चापाकल है। साथ ही गांव में एक और चापाकल है। निजी घरों में भी एक-दो घरों में चापाकल है। कुआं भी है। जिससे बसरौन के लोगों को राहत मिलती है। लेकिन फगुनी, टोपा पहाड़ी व टिटहियां में पानी की घोर किल्लत है।
पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते है पानी की है घोर समस्या
ग्रामीणों का दर्द है कि पहाड़ी इलाका होने के चलते पानी की घोर समस्या है। सही तरीके से बोरिंग नहीं हो पाता है। जिसके कारण चापाकल लगाना मुश्किल है। ऐसे में प्रकृति की वादियों में बसे इन गांवों में लोगों को झंझावतों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब है कि इन गांवों में घटवार और आदिवासियों की बहुलता है। रोजगार के भी साधन नहीं हैं। अभ्रक चुनकर और मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। आसपास के गांवों में जाकर रोजगार करते हैं।
टैंकर तो कराया गया उपलब्ध, पर पानी भरने की है चुनौती
मुखिया नारायण सिंह बताते हैं कि जिला प्रशासन से टैंकर उपलब्ध कराया गया है। लेकिन उसमें भी पानी भरने की चुनौती है। सपही में एक पुराना कुआं है, जिससे पानी भरने की तैयारी की जा रही है। पानी की सफाई की व्यवस्था की जा रही है। ब्लीचिंग पाउडर, दवा आदि का छिड़काव कराने की तैयारी है, जिससे पानी पीने लायक हो जाए। तभी उस कुएं से टैंकर में पानी भरकर प्रभावित गांवों तक पहुंचाया जाएगा। इधर, ग्रामीण बताते हैं कि बसरौन गांव में नल-जल योजना के तहत काम कराया गया है, लेकिन समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। एक घंटे में बमुश्किल एक बाल्टी पानी भर पाता है।
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