सुदूरवर्ती गांव के घर के तहरीर पर कर देश की रक्षा में तैनात बेटियों को प्रशिक्षण कर लौटने पर मंजीत अकादमी के द्वारा किया गया स्वागत
इमामगंज। जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र कभी लाल इलाका के रूप में चर्चित रहा करता था। कभी यहां गोलियों की तरतरहाट की आवाज और लाल सलाम की गुंज सुनाई देती थी। एक समय था जब यहां के लोग बेटियों को घर से भेजने में कतरायां करते थे। लेकिन समय और प्रवेश के अनुकूल सरकार की कई विकासशील कार्यों के कारण गांव की परिवेश और तस्वीर बदली। आज यही कारण है कि नक्सल प्रभावित इलाका इमामगंज प्रखंड से निकली बिटियां बीएसएफ, आइटीबीपी, अग्नि वीर और जिला पुलिस बल में अपना लोहा मनवाने का काम कर रही है। और देश सीमा की रखवाली कर रही हैं। इनमें सुदूरवर्ती क्षेत्र के इलाके भी शामिल हैं जहां पर ड्यूटी करना चुनौतीपूर्ण है। जहां घर की चहारदीवारी से निकलकर देश की रक्षा में तैनात इन बेटियों पर पूरे देश को नाज है। अब वह समय चला गया, जब महिलाओं को अबला नारी की संज्ञा दी जाती थी। महिलाएं सिर्फ आसानी से किए जाने वाले कार्यों में नहीं, बल्कि हर कठिन से कठिन कार्यों में शामिल होकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। वह चाहे खेल का क्षेत्र हो, अथवा सेना तथा पैरा मिलिट्री फोर्स में भर्ती होकर देश सेवा की बात आती हो, इन क्षेत्रों में महिलाएं खासकर युवतियां पूरी तन्मयता के साथ देश तथा अपने सीमा की रखवाली पुरुष जवानों व अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने दायित्वों का पूरी इमानदारी व निष्ठापूर्वक पालन कर रही हैं। ऐसा ही इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के कई बेटियां अलग-अलग केंद्रीय फोर्स में तैनात होकर देश की सुरक्षा के लिए तैनात हैं। इसी में से तीन बेटियां और एक बेटा सीमा सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर से प्रशिक्षण प्राप्त कर जब इमामगंज लौटे तो इमामगंज में मंजीत फिजिकल अकादमी के द्वारा सभी को फूलों की माला पहनकर एवं मिठाईयां खिलाकर जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि छकरबंधा पंचायत के मुखिया श्याम सुंदर प्रसाद मौजूद थे। जिसमें तेतरिया गांव के रहने वाली संजीव कुमारी पिता बंधु दास (बीएसएफ) , तेलवारी गांव के रहनेवाली पूनम कुमारी पिता राजेश दास (बीएसएफ), नैंसी कुमारी पिता मुकेश कुमार जो चूआवार गांव के रहने वाली जो वह भी बीएसएफ में तैनात है। वहीं जमुना गांव के रहने वाला सोलंकी कुमार को अग्नि वीर में चयन हुआ है। यह सभी देश सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर घर लौटे हैं। वहीं सफल हुईं बेटियों की बहादुरी से इमामगंज और आसपास के गांव में जश्न का माहौल है। किसी की मां ने अपनी बेटी की आरती उतारी तो किसी ने विजय टीका लगाया, किसी की मां अपनी बेटी के सफल होने की खुशी में मिठाइयां बांट रही है। बेटियों की सफलता के बाद उनके परिवार और गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है। एक समय ऐसा था, जब यहां नक्सलियों के बंदूक की गूंज से इलाके के लोग सहमे रहते थे। शाम ढलते ही घर से निकलना कोई मुनासिब नहीं समझता था। घर की बेटियों को दरवाजे से बाहर पांव रखने में डर लगता था। लेकिन अब इस इलाके की बेटियों के हौसले ने अब पुरानी तस्वीर बदल कर रख दी हैं। पहली बार यहां की बेटियां सेना में जाकर इतिहास रच दिया है।
इन बेटियों के संघर्ष की कहानी
नक्सल प्रभावित रहे इस इलाके की बेटियों ने जो इतिहास रचा है। वहीं उनके संघर्ष की कहानी भी काफी लंबी है। इन बेटियों में किसी के पिता खेत में मजदूरी करते हैं तो किसी की मां लकड़ी बिनती है, तो किसी के पिता लाइनमैन का काम कर अपनी बेटी के हौसले को पंख लगा इतिहास रचना का काम किया है।
पिता मजदूर, बेटी संजू का बीएसएफ में चयन :
संजू कुमारी बीएसएफ में चयनित हुई है। संजू की कहानी काफी संघर्ष भरी है। इसके पिता बंधु दास मजदूर हैं। वे दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं। इमामगंज के गांव की रहने वाली संजू कुमारी बताती है कि वह सोच भी नहीं सकती थी, कि वह बीएसएफ की जवान बनेगी। किंतु रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी ने उसे लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद की। मैं रोज साइकिल से आती थी और ट्रेनिंग लेकर जाती थी। परिवार को दो शाम का खाना भी ठीक से नहीं नसीब नहीं होता हैं, लेकिन आज हुआ किसी प्रकार संघर्ष कर मुकाम तक पहुंची हूं।
किसान की बेटी पूनम ने भी दिखाया जज्बा
सिक्योरिटी गार्ड राजेश दास तिलवारी गांव के रहने वाले हैं। उनकी पुत्री पूनम कुमारी ने भी इस बार कमाल कर दिखाया है। इमामगंज जैसे इलाके में उन पांच बहादुर बेटियों में पूनम भी है, जिसका बीएसएफ में चयन हुआ है। पूनम कुमारी की भी संघर्ष की कहानी बाकी लड़कियों की तरह है। वह भी प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर ट्रेनिंग लेने के लिए रोज रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी में जाती थी। आर्थिक स्थिति से कमजोर पूनम देश की रक्षा में अपना योगदान देगी।
लाइनमैन की बेटी नैंसी देश की रक्षा में देगी योगदान
वही लाइनमैन का काम करने वाले की बेटी नैंसी कुमारी भी बीएसएफ में चयनित हुई है। नैंसी कुमारी भी गरीब परिवार से है और काफी संघर्ष करके उसने अपने लक्ष्य को पाया है। नैंसी का सपना था कि वो एक दिन सेना की वर्दी पहने और उसे देश सेवा का मौका मिले। रोजाना साइकिल चलाकर अकादमी पहुंचती थी और खूब पसीना बहाती थी,आखिरकार सफल हुईं हैं।
इन बेटियों की सफलता के पीछे मनजीत सिंह
वहीं इसके पीछे मनजीत फिजिकल अकादमी का भी बड़ा योगदान रहा जो बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रही है। यहां लड़कियों को फिजिकल ट्रेनिंग पूरी तरह से निशुल्क दी जा रही है। मनजीत फिजिकल अकादमी के द्वारा लिखित परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है। मेरा सपना था और यूं कहिए कि ये मैंने अपना लक्ष्य बना रखा कि अपने इलाके की बेटियों को सेना में जरूर भेजूंगा। अब सपना सच होने लगा है। बता दें कि मनजीत कुमार रिटायर आर्मी है और इमामगंज इलाके के ही रहने वाले हैं।
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