'केजरीवाल का न‍िजी फैसला...' MCD स्‍कूल क‍िताब मामले में हाईकोर्ट की बड़ी ट‍िप्‍पणी, कहा- सरकार और न‍िगम दोनों ही नाकाम

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'केजरीवाल का न‍िजी फैसला...' MCD स्‍कूल क‍िताब मामले में हाईकोर्ट की बड़ी ट‍िप्‍पणी, कहा- सरकार और न‍िगम दोनों ही नाकाम


 दिल्ली हाईकोर्ट ने नगर निगम (एमसीडी) के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबों नहीं मिलने के मुद्दे पर सोमवार को सुनवाई के दौरान एमसीडी आयुक्त को 14 मई 2024 को नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी. हाईकोर्ट ने कहा कि स्कूल जल्द ही गर्मियों की छुट्टियों के लिए बंद होने वाले हैं, हाईकोर्ट ये आदेश देता है कि आयुक्त, एमसीडी को रुपये की सीमा से बाधित हुए बिना दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए.


दिल्ली के MCD स्कूलों में बच्चों को किताबें उपलब्ध न होने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है. यह एक ऐसा पद है ,जहां सीएम को किसी भी संकट या प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, आग, बीमारी आदि से निपटने के लिए 24×7 उपलब्ध रहना पड़ता है. राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित यह मांग करता है कि इस पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक गैरहाजिर न हो.


हाईकोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को निर्देश दिया कि वह एमसीडी स्कूलों में बच्चों की किताबें यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए 5 करोड़ की अधिकतम बजट की परवाह किए बिना इन्हें वितरित करें. इसके बाद में इस खर्च का ऑडिट किया जाएगा. MCD कमिश्नर से इस बारे में 14 मई तक रिपोर्ट मांगी है. 15 मई को सुनवाई होगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा गिरफ्तार किए जाने और उनकी याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद पद पर बने रहने का निर्णय उनका निजी निर्णय है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, तो छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा और उन्हें निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म के बिना रहना पड़ेगा.


कोर्ट ने कहा कि शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के बयान में सच्चाई है कि एमसीडी कमिश्नर की वित्तीय शक्ति में किसी भी तरह की बढ़ोतरी के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी की आवश्यकता होगी. यह बयान इस बात को स्वीकार करने के बराबर है कि मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी के कारण दिल्ली सरकार ठप्प पड़ी हुई है. कोर्ट कहा कि मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी/स्थायी समिति का गठन न होना/LG द्वारा एल्डरमैन की नियुक्ति से संबंधित विवाद है. ये सब विवाद स्कूल जाने वाले बच्चों को उनकी पाठ्य पुस्तकें, यूनिफॉर्म पाने के रास्ते में बाधा नहीं बन सकते है.


सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान एमसीडी के स्कूलों में छात्रों को अभी तक पाठ्यपुस्तक और यूनिफॉर्म न मिल पाने का मामले दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बड़ी टिप्पणी की.

1. एमसीडी के स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न कर पाने में दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम दोनों ही नाकाम रहे हैं. यह छात्रों के शिक्षा पाने के संविधानिक अधिकार का हनन है.

2. गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद छोड़ने का फैसला अरविंद केजरीवाल का निजी फैसला है.

3. कोर्ट ने कहा कि अनुपलब्धता या फिर नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी का गठन न होना, इन दोनों ही वजह से बच्चों की शिक्षा में रुकावट नहीं होनी चाहिए.

4. राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित के चलते कोई भी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति लंबे समय तक जनता की पहुंच से बाहर नहीं रह सकता है.

5. मंत्री सौरभ भारद्वाज के कोर्ट में दिए गए बयान से साफ है की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गैर मौजूदगी में सरकार के कामकाज में ठहराव आ गया है.

6. गिरफ्तार होने के बावजूद सीएम पद पर केजरीवाल के बने रहने के फैसले का मतलब ये नहीं है कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो. उनके मौलिक अधिकारों से उन्हें दूर रखा जाए.


आपको बता दें क‍ि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को लताड़ लगाई और कहा कि गिरफ्तारी के बाद भी अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हुए हैं, जो दर्शाता है कि उन्होंने राजनीतिक हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है. अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार की सत्ता के समायोजन में रुचि है.

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