नई दिल्ली: भारतीय सेना के रणनीतिक फोर्स कमांड ने नई पीढ़ी की बलिस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम का रात के समय सफल परीक्षण किया है। इस दौरान ओडिसा तट पर डीआरडीओ के भी अधिकारी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि यह परीक्षण सफल रहा और रास्ते में कई जहाजों ने इसकी निगरानी भी की। परमाणु बम गिराने में सक्षम यह मिसाइल भारत की सबसे आधुनिक मिसाइलों में से एक है। इसे अग्नि सीरिज की पुरानी पड़ चुकी अन्य मिसाइलों को हटाने के लिए बनाया जा रहा है। इससे पहले भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का टेस्ट किया था जो एक साथ कई परमाणु बम ले जाने में सक्षम है। भारत की इन मिसाइलों की टेस्टिंग को देखते हुए चीन ने अपने कई जासूसी जहाज हिंद महासागर में तैनात किए हैं। आइए जानते हैं कि अग्नि प्राइम क्यों खास है और पाकिस्तान किलर मिसाइल क्यों कहा जाता है....
अग्नि प्राइम मिसाइल के अंदर एक ऐसी नई तकनीक लगाई गई है जो ज्यादा सटीकता से हमला करने में सक्षम है। यही नहीं इससे इसे एयर डिफेंस सिस्टम से मार गिराना भी आसान नहीं है। इस मिसाइल की रेंज 1000 से 2000 किमी तक है जो पूरे पाकिस्तान में कहीं भी परमाणु तबाही मचाने की क्षमता रखती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस अग्नि पी मिसाइल को पृथ्वी, अग्नि 1 और अग्नि 2 परमाणु मिसाइलों से रिप्लेस करने के लिए बनाया गया था। हालांकि अब कहा जा रहा है कि यह किसी भी मिसाइल को रिप्लेस नहीं करने जा रही है। यह अग्नि मिसाइलों की श्रेणी में शामिल है जिसमें आधुनिक फीचर को शामिल किया गया है। यह मिसाइल बहुत तेजी से अपना रास्ता बदलने में सक्षम है और इसकी सटीकता को बढ़ाया गया है।
दुश्मन परमाणु ठिकानों पर हमले के लिए बनाई गई
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस अग्नि पी मिसाइल में उसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिसका लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि 4 और अग्नि 5 मिसाइलों में इस्तेमाल किया गया है। इसमें लेटेस्ट नेवीगेशन सिस्टम लगा है। यह कनस्तर सिस्टम के जरिए दागी जा सकती है जिससे इसे कहीं भी आसानी से रेल और रोड के जरिए ले जाया जा सकता है। यह मिसाइल दो स्टेज वाली है और सॉलिड फ्यूल से चलती है। एक सूत्र ने द प्रिंट से कहा कि अग्नि पी मिसाइल अगर जरूरत पड़े तो दागे जाने के बाद रास्ते एक जगह पर रास्ता भी बदल सकती है। इसी वजह से इसे मार गिराना आसान नहीं है। यह क्षमता आमतौर पर बलिस्टिक मिसाइलों में नहीं होती है।
परमाणु हथियारों के विशेषज्ञ विपिन नारंग का कहना है कि इस मिसाइल को खासतौर पर दुश्मन के परमाणु हथियारों को परमाणु हमले से तबाह करने के लिए बनाया गया है। यह काउंटर फोर्स डॉक्ट्रिन का हिस्सा है। बता दें कि भारत ने नो फर्स्ट यूज की नीति का पालन करता है। भारत ने यह भी कहा है कि परमाणु हथियार प्रतिरोधक क्षमता के लिए है। विशेषज्ञों का कहना है कि अग्नि पी की रेंज 2 हजार किमी ही है लेकिन यह चीन के कई इलाकों में तबाही मचाने की क्षमता रखती है। अगर इसे भारत किसी रणनीतिक स्थान से दागा जाता है तो यह पश्चिमी, मध्य और दक्षिण चीन में महातबाही मचा सकती है। इससे भारत चीन के आर्थिक पावर हाउस कहे जाने वाले शहरों चेंगदू, सिचुआन और हांग कांग तक भी हमला कर सकता है। यही वजह है कि चीन ने अपने जासूसी जहाजों को हिंद महासागर में तैनात कर रखा है ताकि भारतीय मिसाइल की जासूसी की जा सके। उसकी ताकत को जाना जा सके।
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