New Delhi. छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना होता है, खरना के दिन छठी मैया की पूजा की जाती है. इस दिन व्रती संतान सुख, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए पूरे दिन उपवासी रहते हुए शाम को पूजा स्थल पर दीप जलाते हैं. फिर व्रती श्रद्धा भाव से सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा करते हैं. शाम में व्रती और उनके परिवारजन मिलकर उन सभी प्रसादों का भोग भगवान को अर्पित करते हैं. फिर यह प्रसाद फिर परिवार के सभी सदस्य एक साथ खाते हैं. खरना छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह दिन आस्था, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. आइए जानते है इसे कैसे मनाया जाता है.
छठ पूजा के दूसरे दिन कल यानी 6 नवंबर 2024 को खरना किया जाएगा. कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन खरना कहलाता है. खरना के दिन व्रती महिलाएं शाम को गुड़ की बखीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर व्रत शुरू करती हैं. जिसके बाद 36 घंटे तक अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता.
खरना कैसे मनाया जाता है?
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना में छठी मैया को प्रसाद का भोग लगाने के बाद, सूर्योदय और सूर्यास्त तक चलने वाले निर्जला व्रत की शुरुआत होती है. फिर व्रती 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत रखते हैं. खरना के दिन बखीर, ठेकुआ, गेहूं का पेठा, घी वाली रोटी आदि विशेष प्रसाद बनाए जाते हैं, प्रसाद को शुद्धता से बनाना बहुत जरूरी होता है. शाम को पूजा के बाद व्रती लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं.
खरना का महत्व | kharna puja significance
खरना, छठ पूजा का दूसरा दिन है और इसका धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्व है. खरना के दिन छठी मैया उपासना की जाती है. यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए किया जाता है. खरना के दिन बनाए गए प्रसाद जैसे खीर, ठेकुआ आदि का विशेष महत्व होता है. इन प्रसादों को देवताओं को अर्पित करने के बाद ही ग्रहण किया जाता है. खरना का व्रत ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.
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