बक्सर। पटना-बक्सर एनएच 922 के पश्चिमी छोर पर बक्सर गोलंबर के ठीक ऊपर पटना के आर ब्लॉक चौराहे की तरह एलिवेटेड रोड के साथ एलिवेटेड गोलंबर भी बनाया जाएगा। इसके निर्माण पर मंगलवार को जिला प्रशासन और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों की संयुक्त बैठक में सहमति बनी है। एनएचएआई के अधिकारियों ने जिला प्रशासन के सुझाव पर कहा है कि वे इस प्रस्ताव को अपने मुख्यालय को भेजेंगे।
बक्सर सदर एसडीओ धीरेंद्र मिश्रा ने बक्सर गोलंबर पर बालू लदे ट्रकों के कारण प्रतिदिन लगने वाले जाम को देखते हुए यह प्रस्ताव दिया था। बक्सर में गंगा पर तीसरे पुल का निर्माण शुरू होने से ठीक पहले उन्होंने डीएम को त्राहिमाम संदेश देते कहा था कि सड़क निर्माण एजेंसी को बक्सर गोलंबर के पास घनी आबादी और कई मार्गों का जंक्शन होने के कारण हाइवे को एलिवेटेड किया जाना जरूरी है। अगर ऐसी व्यवस्था किए बगैर यहां तीसरा पुल बनता है, तो जाम की चुनौती और अधिक गंभीर हो जाएगी।
डीएम अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में इस मसले पर सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ एक बैठक की गई। इसमें एनएचएआई के पटना कार्यालय के अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में यह सामने आया कि एनएचएआइ ने जब बक्सर में गंगा पर तीसरे पुल की योजना बनाई, तब गोलंबर से होकर भारी वाहनों की आवाजाही नगण्य थी। इसकी वजह यह थी कि यहां भारी वाहनों के लिए गंगा पार करने का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था। पुराना पुल भारी वाहनों के लिए पहले ही बंद किया जा चुका था। तब के ट्रैफिक को देखते हुए योजना बना ली गई।
इस बीच बक्सर में जैसे ही गंगा पर बना दूसरा पुल चालू हुआ, ट्रकों की आवाजाही अचानक कई गुना बढ़ गई। अकेले बालू लदे 500 से 1000 ट्रक रोज गुजरने लगे। इसके चलते एनएच 922 के बक्सर छोर पर शाम ढलते ही जाम लगना आम बात हो गई है। कभी-कभी यह जाम 12 से 14 घंटे तक भी असर दिखा रहा है। इसके कारण बलिया-गाजीपुर एनएच 31 और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तक परिचालन पर असर पड़ रहा है। पटना से अयोध्या, लखनऊ और दिल्ली के लिए चले लोग बक्सर आकर जाम में फंस रहे हैं।
ऊपर और नीचे दोनों सतह पर चलेंगे वाहन
मंगलवार को बैठक में जो तय हुआ उसके अनुसार बक्सर में गंगा पर बनने वाले पुल को दोनों तरफ एलिवेटेड रोड के जरिए गोलंबर से आगे बढ़कर मुख्य हाइवे में जोड़ा जाएगा। बक्सर के साथ ही यूपी के बलिया जिले के भरौली में भी गोलंबर के ठीक ऊपर एलिवेटेड गोलंबर बनेगा। इसका फायदा यह होगा कि दूर-दराज के वाहन एलिवेटेड गोलंबर से ही गुजरते रहेंगे और नीचे स्थानीय वाहनों के यातायात पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने में होगी परेशानी
प्रशासन और एनएचएआई की बैठक में मंगलवार को जो योजना बनी है, उसमें एक खामी झलक रही है। इसमें दोनों राज्यों की सीमा में इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट के लिए जगह निर्धारित नहीं की गई है, जबकि दोनों राज्यों में अलग-अलग कानून होने के कारण गंगा पुल पार कर दूसरी तरफ से आने वाले वाहनों की जांच जरूरी है। फिलहाल वाहनों की जांच के लिए दोनों राज्यों के संबंधित विभाग ट्रकों और अन्य वाहनों को पुल पर ही रोककर रखते हैं।
अगर आगे भी ऐसी ही व्यवस्था रही और एलिवेटेड रूट पर रोककर वाहनों की जांच होती रही, तो जाम की समस्या बनी रहेगी। साथ ही एलिवेटेड रोड की संरचना पर भी असर पड़ेगा। गोलंबर पर वाहनों को अलग-अलग दिशा में जाने से पहले वाहनों की जांच करना भी जरूरी होगा। इस चिंता का ध्यान एलिवेटेड गोलंबर की योजना में नहीं रखा गया है।
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