प्रदेश में बदलती रही सरकारें, परंतु नहीं सुधरी जिले का एकमात्र वारिसलीगंज गौशाला की दशा

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प्रदेश में बदलती रही सरकारें, परंतु नहीं सुधरी जिले का एकमात्र वारिसलीगंज गौशाला की दशा


-डबल इंजन की सरकार में जिले का एकमात्र वारिसलीगंज का श्री गौशाला बदहाल


फ़ोटो:-जिले का एकमात्र वारिसलीगंज गौशाला


अशोक कुमार,वारिसलीगंज (नवादा)

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देश एवं राज्य में डबल इंजन की सरकार सत्तासीन है। एनडीए गठबंधन के तहत नीतीश कुमार की सरकार की चौथी पाली चल रही है। लेकिन नवादा जिले का एकमात्र वारिसलीगंज का श्रीगौशाला आज भी अपनी बदहाली पर आंशु बहाने को विवश है। क्षेत्र के लोग आश्चर्य चकित हैं क्योंकि गौ को माता कहने वाली भाजपा के नरेंद्र मोदी केंद्र के प्रधानमंत्री रहते नहीं सुधर सकी श्री गौशाला की सूरत।  नवादा जिले का इकलौता गौशाला अपनी बदहाली पर आंशु बहाने को विवश है। दो दशक पूर्व तक मवेशियों से गुलज़ार रहने वाला वारिसलीगंज का श्री गौशाला की प्रबंधकारिणी समिति मृतप्रायः हो चुकी है। वारिसलीगंज गौशाला के पास करीब आठ एकड़ कीमती भूमि है। जो शायद मवेशी अस्पताल के खाते में चली है। जिसमें वारिसलीगंज पावर सबस्टेशन से पशिचम स्थित करीब डेढ़ एकड़ का कीमती भूभाग के अलावे रजौली अनुमंडल के हाथोचक में पांच एकड़ खेती योग्य भूमि है। जबकि गौशाला के आसपास भी तरकीबन एक एकड़ कीमती व आवासीय भूमि अवस्थित है। बाबजुद गौशाला की बदहाली प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता है। गौशाला का पदेन अध्यक्ष अनुमंडल अधिकारी होते हैं। जबकि वर्षो से मनोनीत सचिव वारिसलीगंज के कमलिया मिल निवासी 75 वर्षीय देवकीनंदन कमलिया है जिन्हें अब गौशाला के विकास से कोई लेना देना नहीं के बराबर है। वर्षो से गौशाला में कोई गौ नहीं है। हलांकि गौशाला के परिसंपत्तियों का सभी लेखा जोखा देवकीनंदन कमलिया के पास है। जो पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुके हैं। बताया जाता है कि गौशाला के लिए पूर्व गठित कमेटी के लोगो में से सचिव के अलावे अन्य सदस्यों को गौशाला की सुरक्षा संरक्षा से कोई मतलब नहीं है। लोग कहते हैं कि जब गौशाला चालू था तब उसमें एक सौ से अधिक पशुधन रहता था। जिसमें दर्जनों दुधारू पशु होता था जिसका दूध बाजार के व्यवसाइयों के घर प्रतिदिन बिक्री होता है। दूध से प्राप्त आमदनी से पशुओं का चारा एवं रख रखाव का खर्च निकलता था। जबकि पावर हाउस के पास की परती जमीन पर पशुओं के लिए हरा चारा लगाया जाता था। प्रति बर्ष गोवर्धन पूजा के दिन गौशाला में गोपाष्टमी मनाई जाती थी। इस उत्सव में दो दर्जन से अधिक कृष्ण सुदामा तथा पशुओं की मूर्तियां स्थापित किया जाता था। बाजार समेत ग्रामीण क्षेत्र के लोग गोपाष्टमी का मेला देखने गौशाला आया करते थे। मेला का उदघाटन गौशाला के पदेन अध्यक्ष सदर एसडीओ करते थे। अब गोपाष्टमी के दिन गौशाला में मूर्ति बनना तो दूर एक मवेशी तक नहीं रहता है। कुछ बर्ष पहले नवादा के तत्कालीन सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह व बिहार राज्य गौशाला विकास समिति के दो अन्य अधिकारी भ्रमण करने वारिसलीगंज गौशाला पहुंचे थे। तब आयोजित कार्यक्रम में कुछ क्षेत्र के गौ प्रेमियों ने अच्छी नश्ल की एक एक गाय दान में देने की घोषणा मंच से किया था। इस बीच संसद मद की कुछ राशि से गौशाला परिसर में नाद एवं शेड आदि का निर्माण भी किया गया। लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई, अभी तक गौशाला बदहाल पड़ा है।


बजरंग दल द्वारा जब्त पशुओ की नहीं है चारा-


वारिसलीगंज प्रखंड विहिप और बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं पुलिस की सहायता से पशु तस्करों से तरकीबन दो दर्जन पशुओ को जब्त कर गौशाला को सुपुर्द किया गया है। कुछ दिनों से विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने आपसी चंदे से पशु आहार की व्यवस्था कर रहे हैं। वृद्ध एवं बीमार पशुओं का इलाज भी करवा रहे हैं। लेकिन गौशाला कमेटी राशि नहीं रहने की बात कह पशुओं को चारा उपलब्ध करवाने में असमर्थता जताई। फलतः भूखे पशुओं की धीरे धीरे मौत हो रही है। गौशाला बंद होने से सड़कों पर दर्जनों आवारा पशुओं की संख्या काफी बढ़ गई है। क्षेत्रवासियों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली चौथी पाली की सरकार से गौशाला का जीणोद्धार कर एकबार पुनः पशुओं से गुलज़ार करने की आस लगाए है। अब देखना है कि पशु (गाय)को माता मानने वाली केंद्र को भाजपा समर्थित एनडीए एवं राज्य नई महागठबंधन की सरकार में जिले का एक मात्र गौशाला की दुर्दशा सुधरती है या नहीं।

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