डीएम के आदेश के बावजूद भी मौत बाटने वाले नर्सिंग होम पर कार्यवाई नहीं होने से पनप रहा आक्रोश

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डीएम के आदेश के बावजूद भी मौत बाटने वाले नर्सिंग होम पर कार्यवाई नहीं होने से पनप रहा आक्रोश



-रजौली में कुकुरमुते की तरह पनप रहा अवैध नर्सिंग होम


प्रतिनिधि विश्वास के नाम


रजौली: इन दिनों रजौली में खुशी की जगह मौत बाटने का सिलसिला अनवरत जारी है और इन मौत के सौदागरों पर कानूनी कार्यवाई नही होने से इनके हौसले बुलंद हैं।रजौली के सिरदला रोड, बाईपास और सती स्थान के समीप दर्जनों अवैध नर्सिंग होम धड़ल्ले से बिना निबंधन के जारी है और इन नर्सिंग होम में ना तो कोई दक्ष चिकित्सक हैं और ना ही कोई दक्ष नर्सिंग स्टाफ है।जिससे आये दिन इन नर्सिंग होम में खुशी के जगह मौत बाटने का सिलसिला अनवरत जारी है।अवैध नर्सिंग होम में कभी प्रसूता तो कभी नवजात शिशु के मौत हो जा रहा है।आये दिन मौत की खबर विभिन्न समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होता रहता है।लेकिन प्रशासनिक कार्यवाई नही होने से इनके हौसले बुलंद हैं। दरअसल गुरुवार को रजौली बाईपास स्थित अवैध मान्या शिशु केयर नर्सिंग होम में सिरदला थाना क्षेत्र के अकौना पंचायत के हजरा निवासी ऊदल यादव उर्फ गोरे यादव अपने नवजात बच्चे को इलाज के लिए मान्या शिशु केयर नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहाँ सुई लगते ही बच्चे की मौत हो गई।अब तक दर्जनों बच्चे और प्रसूता की मौत इन अवैध नर्सिंग होम में हो चुकी है।लेकिन इस पर प्रशासन मौनी बाबा बने हुए है।

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नाम बदलकर दूसरा नर्सिंग होम खोल देते संचालक 


जब कोई बच्चे,प्रसूता या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित रोगी की मौत इन नर्सिंग होम में हो जाता है तो सबसे पहले उस नर्सिंग होम के संचालक शटर बंद कर फरार हो जाते हैं और जैसे ही मामला ठंढे बस्ते में चला जाता है।वैसे ही फिर सक्रिय होकर किसी दूसरे जगह पर एक और नया नाम से फिर नर्सिंग होम खोल देते हैं।

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अवैध नर्सिंग होम में मरीजों को लाने के एवज में मिलती मोटी कमीशन 


अवैध नर्सिंग होम तक मरीजो को पहुँचाने के लिए क्षेत्र में कई दलाल सक्रिय है।प्राप्त जानकारी के मुताबिक एक मरीज को नर्सिंग होम तक पहुँचाने वाले दलाल को 5 हजार से 7 हजार तक कि मोटी रकम कमीशन के रूप में दिया जाता है।इन अनैतिक कार्यो में कई बार अस्पताल में कार्यरत आशा और नर्स का भी नाम जुड़ता रहा है।

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बिना निबंधन और संसाधन के अभाव में जाती मरीज की जान 


रजौली में संचालित दर्जनों नर्सिंग होम बिना संसाधन के चल रहे हैं। जिससे कई मरीजो की जान जा चुकी है।बिहार में नर्सिंग होम खोलने के लिए क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर दिया गया है।इस एक्ट के तहत तमाम नर्सिंग को एक्ट के अधीन जिला रजिस्ट्रेशन प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना होगा जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में डीएम अध्यक्ष और सिविल सर्जन संयोजक होते है,लेकिन बिना निबंधन के दर्जनों नर्सिंग होम धड़ल्ले से खुले हुए हैं।

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