प्रतिनिधि विश्वास के नाम
पटना: लोकसभा चुनाव के अभी तक आए रुझानों में एक बात साफ है कि बीजेपी नेतृत्व ने 2024 के चुनाव को कुछ ज्यादा ही हल्के में लिया। खबर लिखने तक सभी 543 सीटों के रुझानों में एनडीए सरकार बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। रुझानों में एनडीए 270 सीटों पर आगे है। लेकिन इस बार रुझानों में इंडिया गठबंधन जोरदार टक्कर दे रहा है। कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन अब तक 251 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इंडिया गठबंधन का नंबर इसकारण गौर करने लायक है क्योंकि इन दोनों गठबंधन से अलग दल भी 22 सीटों पर आगे है।
लोकसभा चुनाव प्रचार के पूरे चरण में एनडीए गुट पूरी तरह से 5 किलो फ्री राशन और पीएम मोदी के बड़बोलेपन वाले भाषण पर ही निर्भर दिखी। प्रधानमंत्री मोदी पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अपने पद की गरिमा को नजरअंदाज कर रैलियों में प्रचार करते दिखे। राम मंदिर के मुद्दे से चुनाव प्रचार की शुरुआत करने वाले पीएम मोदी मंगलसूत्र, भैंस चोरी, और हिंदुओं की संपत्ति छीनकर मुस्लिमों बांट देगी कांग्रेस जैसे मुद्दे उठाते रहे। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पहुंचने पर पीएम मोदी विपक्षी दलों के लिए मुजरा जैसे शब्द प्रयोग करने में भी संकोच नहीं किया।
पूरे चुनाव के दौरान जब वोट प्रतिशत कम हुए तब बीजेपी के तमाम नेता कार्यकर्ता फ्री राशन से उम्मीद पाले रहे। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी और एनडीए के घटक दल मानकर बैठे थे कि फ्री राशन से दलितों के वोट खूब मिलने वाले है। वे मानकर बैठे थे कि बीएसपी जमीन पर कहीं है नहीं, इसके बाद उनका वोटर राशन के फेर में बीजेपी पर ही भरोसा करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी सहित बीजेपी के तमाम नेता राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, लालू यादव, अखिलेश यादव जैसे नेताओं पर पर्सनल अटैक करते रहे। बीजेपी यह समझने में भूल कर बैठी कि जिस तरह से राहुल ने जब पीएम मोदी पर पर्सनल अटैक किए तब उसका उन्हें फायदा हुआ। पीएम अपने भाषणों और इंटरव्यू में आत्ममुग्धता के शिकार दिखे। महंगाई जैसे सवाल पर पीएम ने मुद्दा मानने से ही इंकार किया। जब नौकरी पर सवाल हुआ तब पकौड़ा बेचने को रोजगार बता दिया। जब सरकारी नौकरी की बात पूछी गई तब पीएफ अकाउंट के नंबर बताने लग गए।
2014 में देश की जनता ने काफी उम्मीद के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र मे लेकर आई थी। पीएम ने भी देश की जनता को खूब ख्वाब दिखाए। हर दूसरे तीसरे दिन नया शिगूफा लेकर आते ताकि जनता हेडलाइन में उलझी रहे। पीएम मोदी की सरकार ने जब भी किसी समस्या के बारे में पूछा जाता तब वह इसके लिए नेहरू और इंदिरा को कोसने लगते।
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