मधुबनी (ईएमएस)। बिहार में कई ऐसी जगहें हैं जो अपने अंदर इतिहास को समेटे हैं लेकिन सरकार की अनदेखी से इन जगहों की दुर्दशा बढ़ती जा रही है। इन्हीं मे से एक मधुबनी का राजनगर पैलेस भी है। कभी दरभंगा महराजा की सल्तनत वाला यह अद्भुत शहर अपने सौंदर्य से जाना जाता था आज उसकी हालत बेहद खराब है।
कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में यहां महराजा विश्वेश्वर सिंह ने भव्य नवलखा कैंपस का निर्माण कराया था। किले के साथ-साथ कैंपस के अंदर 11 मंदिरों का भी निर्माण कराया गया था। इन 11 मंदिरों में कई देवी-देवताओं की मूर्ति की स्थापना की गई है जिनमें मां दुर्गा, काली, अन्नपूर्णा समेत भगवान शिव, जानकी श्री राम और हनुमान की मूर्ति हैं। माना जाता है कि महाराजा विश्वेश्वर सिंह तंत्र विद्या जानते थे और आध्यात्म के प्रति उनका झुकाव था। मान्यता है कि 17वीं शताब्दी में जब महाराजा ने इस पैलेस का निर्माण कराया था तब 9 लाख से अधिक चांदी के सिक्के खर्च हुए थे। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि इस स्थल को कितना विशाल बनाया गया होगा। इस जगह के दायरे की बात करें तो यह लगभग 1500 एकड़ में बसा है। नवलखा पैलेस अपनी सुन्दरता के साथ-साथ अपनी ऊंचाई से भी काफी प्रभावित करता है। यह पैलेस 15 परतों की नक्काशी वाले ताजमहल से भी ऊंचा है। यहां 22 परतों की नक्काशी की गई है। यह भारत की पहली सीमेंट संरचना है। 1934 में आए विनाशकारी भूकंप और सरकार द्वारा ध्यान ना दिए जाने से यह जगह खंडहर बन गई है। आज इसकी स्थिति बेहद ही खराब है। रंग-रोगन ना होने से इमारतों पर जगह-जगह दरार और खरोंच पड़ गए हैं। कैंपस ठीक से घिरा ना होने से मवेशियों का अड्डा भी बन चुका है। सफाई ना होने से तालाब की स्थिति भी खराब है। इस पैलेस की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसएसबी की 18वीं बटालियन को दी गई है जिनका दफ्तर भी यहीं है। यहीं से सैनिक कैंप करते हैं और इस परिसर की देखभाल भी करते हैं। इतनी भव्यता होने के बावजूद पर्यटन के क्षेत्र में विकास नहीं कराए जाने पर एसएसबी जवान सहित स्थानीय लोग नाखुश हैं। लोग चाहते हैं कि यहां पर्यटन का विस्तार हो और जिससे जगह की सुंदरता बढ़ने के साथ ही लोगों को भी रोजगार मिल सके। फिलहाल नवलखा कैंपस के जर्जर महलों में ही महराजा के नाम से कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
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