नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले में तापमान में बृद्धि के साथ पेयजल संकट गहराने लगा है। अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में ही पारा 40 पर पहुंचने व लू चलने से घर से निकलना मुश्किल हो रहा है।
वर्षापात में लगातार कमी होने के भूगर्भीय जलस्तर नीचे जाने से चापाकलों ने जबाब देना शुरू कर दिया है। ऐसे में संपन्न लोग घरों में सबमर्सिबल लगाने लगे हैं जिससे आसपास के चापाकलों पर संकट गहराने लगा है। अधिकांश गांवों में नल जल योजना भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी की कहानी बयां कर रही है।
सर्वाधिक भयावह स्थिति मेसकौर प्रखंड की है। उक्त प्रखंड का हालात यह है कि गंगा उद्वह योजना के तहत मोतनाजे व गया जिले के वजीरगंज ने पानी देने से मना कर दिया है। ऐसे में अब फुलवरिया जलाशय का आसरा शेष रह गया है। फिर पानी के लिए हाहाकार मचना शुरू हो गया है। अभी तक टैंकरों से पानी पहुंचाने की व्यवस्था तक आरंभ नहीं की गयी है। प्रशासन का सारा ध्यान लोकसभा चुनाव पर केन्द्रित रहने के कारण इनकी व्यथा सुनने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे में पशुओं के लिए पानी कहां से आयेगा यह यक्ष प्रश्न प्रखंड वासियों के समक्ष मुंह बारे खड़ा है।
Post a Comment