नालंदा में व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य , छठ घाटों पर उमड़ी भीड़

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नालंदा में व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य , छठ घाटों पर उमड़ी भीड़



नालंदा से संवाददाता राकेश कुमार 

नालंदा - रहुई प्रखंड क्षेत्र के  मोरा तलाब सहित पूरे प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अस्त होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।

लोक आस्था और सू्र्य उपासना के पर्व चैती छठ के तीसरे दिन रविवार को पहला अर्घ्य दिया गया।शाम के समय डूबते भगवान सूरज को तलाब और नदियों के किनारे जल चढ़ाया गया। प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न जलाशयों के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अस्त होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सोमवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे।

घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम

देवनागरी मोर तलाब छठ घाट पर छठ पूजा को लेकर कमेटी द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए थे। छठ घाट पर आग देने के लिए प्रखंड क्षेत्र के अलावा जिला मुख्यालय से भारी संख्या में लोग यहां पर पहुंचे थे। छठ घाट पर चेंजिंग रूम ,अस्थाई शौचालय बेरीकटिंग, लाइट, शुद्ध जल, मेडिकल टीम, सुरक्षा के दृष्टिकोण से एनडीआरएफ के टीम की तैनाती की गई थी। विधि व्यवस्था बनाए रखना को लेकर भागन बीघा थाना अध्यक्ष अपने दलबल के साथ मुस्तैद रहे। छठे घाट पर मुख्य अतिथि के रूप में स्थानीय विधायक डॉक्टर सुनील कुमार मौजूद रहे।

चैती छठ के तीसरे दिन पर्व को लेकर व्रती मोरा तलाब एवं रहुई नगर पंचायत में बने घाट से लेकर विभिन्न तालाब और जलाशयों पर पहुंचे और भगवान भास्कर की पूजा-अराधना की। छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर  घाटों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। 

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा समापन

इसके पहले व्रतियों ने शनिवार की शाम भगवान भास्कर की अराधना की और खरना किया था। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा।इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगे। हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है। इस दौरान व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।

छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यदेव और उनकी बहन छठ माता की विशेष पूजा आराधना की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मनाया जाता है। छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शुरू होती है। फिर षष्ठी तिथि को छठ का पहला अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यदेव की उपासना का सबसे बड़ा और खास पर्व छठ का त्योहार होता है। संध्या समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है, लम्बी आयु मिलती है और आर्थिक सम्पन्नता आती है। चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा पर्व में भगवान सूर्यदेव की पूजा के साथ छठी मैय्या की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए छठी मैय्या से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाएं शाम के समय डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं इसके लिए व्रती महिलाएं किसी पवित्र नदी और तालाब में कमर तक पानी में डूबकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।

क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

छठ पर्व चार दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है। छठ पर्व का तीसरा दिन बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे मान्यताएं हैं। कार्तिक माह स्नान,पूजा और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस माह में भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं। वहीं सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता और भगवान विष्णु का ही प्रत्यक्ष रूप माना जाता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का मतलब है कि भगवान विष्णु सूर्यदेव के रूप और जल में भगवान विष्णु की अप्रत्यक्ष रूप से दोनों की साथ में पूजा की जाती है। अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें कुछ बूंदें कच्चा दूध मिलाएं। इसी पात्र में  लालचन्दन,चावल,लालफूल और कुश डालकर प्रसन्न मन से सूर्य की ओर मुख करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए।

सूर्य पूजा से लाभ

भविष्य पुराण के अनुसार सूर्य की उपासना से आरोग्य, ऐश्वर्य, धन और संतान की प्राप्ति होती है। सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्य की किरणों में समस्त देव, गंधर्व और ऋषिगण निवास करते हैं। सूर्य की उपासना गंगा नदी में स्नान या फिर घर में गंगाजल डालकर स्नान करने और भगवान सूर्य की आराधना करने से जाने-अनजाने, शरीर, वचन, मन, पिछले और वर्तमान जन्म में किए गए सभी प्रकार के पाप धुल जाते है।

छठ पर्व के दूसरे दिन यानी खरना पर शाम को व्रती महिलाएं खरना का प्रसाद ग्रहण कर अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। रविवार को व्रती महिलाएं शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया फिर अगले दिन यानी सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।

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