प्रतिनिधि विश्वास के नाम वारसलीगंज
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वारिसलीगंज-सरकारी उदासीनता के कारण वारिसलीगंज की चीनी मिल कबाड़ में बिक कर इतिहास बन चुकी है। लेकिन उसकी परिसम्पत्तियों की रखवाली करने वाले दैनिक पहरेदारों की मजदूरी आज भी चीनी मिल प्रबंधन के पास बकाया है। मजदूरों की माने तो तत्कालीन महाप्रबंधक के द्वारा मिल की परिसंपत्तियों की सुरक्षा को लेकर क्षेत्र के 10 लोगो को मिल प्रबंधन ने 20 अप्रैल 2018 से लगातार 17 सितंबर 2022 तक दैनिक मजदूर के रूप में रखा था। जिसकी 10 मजदूरों (पहरेदारों) की मजदूरी करीब 67 लाख रुपये मिल प्रबंधन के पास आज भी बकाया है। मजदूरों का कहना है कि एक बार हम मजदूरों को मिल गोदाम के किराया से प्राप्त आमदनी में से 30 हज़ार रुपया मिला था। जबकि अभी भी हर पहरेदार का करीब छह सात लाख रुपया मिल प्रबंधन के पास बकाया है। जबकि मिल के कबाड़ में बिक्री बाद इन मजदूरों की आर्थिक हालत काफी बदतर हो रही है। बाबजूद अभी तक किसी ने इन मजदूरों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है मजदूरी नहीं। अब बिहार गन्ना आयुक्त के द्वारा चीनी मिलों के पास कामगारों एवं दैनिक मजदूरों के बकाए राशि की भुगतान को ले दावा आपत्ति का आवेदन मांगा गया है तब वारिसलीगंज चीनी मिल से जुड़े मजदूरों को भी बकाए मजदूरी मिलने की आस जगी है। वारिसलीगंज के जिन दैनिक मजदूरों के पांच वर्षों का एक मुश्त मजदूरी बकाया है उनमें रंजीत कुमार-माफी, दिनेश कुमार सिंह-मकनपुर, मो इम्तियाज अंसारी-वारिसलीगंज, मुकेश कुमार-माफी, राम विलास सिंह- सिमरी, राकेश कुमार-माफी, डब्लू कुमार- मकनपुर,रामचंद्र यादव-मुड़लाचक, धर्मेंद्र कुमार-मुड़लाचक तथा गुलशन कुमार नवादा शामिल हैं।
बता दें कि पेराई सत्र 1992-93 में जब चीनी मिल बन्द ह्यो गई तक मिल के कामगारों की आर्थिक स्थिति चरमराने लगी। इस बीच धीरे धीरे कर्मी सेवा निवृत्त होने लगे। 2018 तक सभी कर्मी सेवा निवृत्त हो गए। जिनका बकाया मिल प्रबंधन दो तीन किस्तों में भुगतान दिया। इस बीच 2018 से मिल के करोड़ो की परिसंपत्तियों के सुरक्षा को लेकर तत्कालीन महाप्रबंधक द्वारा उपरोक्त मजदूरों को दैनिक मजदूरी पर सुरक्षा प्रहरी के रूप में रखा गया। लेकिन मजदूरी का भुगतान लंबित होते गया। इन सुरक्षा प्रहरियों को तब निराश होने लगी जब मिल को कबाड़ में बिक्री कर दिया गया। इस बाबत मिल के दैनिक मजदूरों (पहरेदारों) ने बिहार राज्य चीनी निगम तथा नवादा डीएम को आवेदन देकर बकाए मजदूरी की मांग करने की तैयारी की जा रही है।
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