महिला बोली मेरे बच्चे नहीं है इसी ही पालूंगी
2 घंटे की कड़ी मसक्क़त के बाद झाड़ी में फेंका नवजात बिमुक्त
( रंजन कुमार विश्वास के नाम
ब्यूरो चीफ शेखपुरा )
शेखपुरा जिला नगर क्षेत्र के पचना गांव से एक परित्यक्त नवजात बालक को बाल संरक्षण इकाई के द्वारा विमुक्त कराया गया है ।बताया गया है कि बीती रात एक नवजात बालक को उसके जैविक माता के द्वारा पचना गांव के एक झाड़ी में फेंक दिया गया था। सुबह में जब पास की रहने वाली नवल रविदास की पत्नी अपने घर की गंदगी फेंकने के लिए गई थी तभी उसे एक नवजात बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पड़ी ।बालक को रोते देख महिला के द्वारा बालक को अपने घर लाकर उसका प्राथमिक उपचार कराया गया। बताते चलें कि नवल पासवान के छोटे भाई को कोई पुत्र नहीं था इसलिए वह उस बालक को अपने घर में पालन पोषण करने लगी। इसी बीच पचना गांव के ग्रामीणों के द्वारा इसकी सूचना जिला बाल संरक्षण इकाई को दी गई। सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम स्थानीय पुलिस को लेकर पचना गांव नवजात बालक को विमुक्त करने पहुंची। शुरुआत में बाल संरक्षण इकाई टीम के द्वारा नवल रवीदास के परिवार एबम ग्रामीणों को समझाया बुझाया गया लेकिन देखते-देखते 400-500 की संख्या में महिला एवं पुरुष इकट्ठा हो गए और बाल संरक्षण इकाई तथा शेखपुरा पुलिस की टीम को घेर कर बच्चों को नहीं देने की जिद करने लगे। प्रशासन के द्वारा काफी समझाया गया लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे और घेरकर हल्ला करने लगे। और हर हालत में कह रहे थे कि जो बच्चा को पाई है बच्चा उसी के घर में पलेगा ।मामला बिगड़ते देख जिला बाल संरक्षण की एक टीम ने जिला प्रशासन को इसकी सूचना दी इसके बाद शेखपुरा टाउन थानध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार को विशेष पुलिस के साथ पचना गांव भेजा गया। साथ ही स्थानीय जन प्रतिनिधियों को बुलाकर काफी मान मनोबल के बाद परित्यक्त बालक को गांव से बिमुक्त कराकर एस एन सी यू वार्ड में भर्ती कराया गया है । बालक का स्वास्थ्य ठीक है तथा बेहतर इलाज के उपरांत उसे दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया के लिए कानूनी रूप से मुक्त कराया जाएगा। विमुक्त करने गई टीम में जिला बाल संरक्षण इकाई के सी पी ओ प्रदीप कुमार, सोशल वर्कर श्रीनिवास, दत्तक् ग्रंहन संस्थान के कोऑर्डिनेटर जितेंद्र कुमार और आउटरीच वर्कर नितेश कुमार अमित कुमार आदि शामिल थे। इस संबंध में जानकारी देते हुए सोशल वर्कर श्रीनिवास ने बताया कि गांव में स्थानीय लोग काफी उम्र हो गए थे तथा मरने- मारने को उतारू हो गए थे ।लोग सड़क जाम करने की धमकी देने लगे थे लेकिन काफी सूझ बूझ तथा मान मनोबल के बाद नवजात बालक को नवल रविदास के घर से विमुक्त कराया गया। गांव वाले काफी ज़िद कर रहे थे लेकिन स्थानीय सामाजिक जनप्रतिनिधि वार्ड सदस्य एवं कांग्रेस के नेता मुअज्जम तथा ग्रामीण डॉक्टर महेश प्रसाद के समझाने बुझाने के बाद नवजात बालक को बाल संरक्षण इकाई अपने संरक्षण में लेकर अस्पताल पहुंची जहां उसका बेहतर इलाज कराया जा रहा है।
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