प्रतिनिधि, विश्वास के नाम हिसुआ :
श्रीमद् भागवत के दूसरे दिन शनिवार को कथा वाचक गौतम जी महाराज ने कहा भागवत महापुराण के प्रथम श्लोक में सत्य को प्रणाम किया गया है, क्योंकि सत्य ही भगवान है। सत्य सत्संग से प्राप्त होता है तथा भागवत कथा कल्याण कर संसार के संताप को मिटाती है। जब तक मुक्ति न मिल जाए तब तक मनुष्य को भागवत कथा रूपी रस को पीते रहना चाहिए।
हिसुआ के जीवन ज्योति स्कूल में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान कथावाचक ने कहा कि कोई धन तो कोई बल में बड़ा होता है। लेकिन जो ज्ञान में बड़ा हो, वही महान होता है। उन्होंने कहा कि जीवन एक युद्ध क्षेत्र है। जीवन में कभी भी परेशानी आए तो हरिनाम को सहारा बनाएं। जीव का एकमात्र सहारा हरिनाम ही है। हरिनाम से बड़ी से बड़ी बाधा कट जाती है। उपस्थित श्रद्धालुओं से उन्होंने कहा कि जीवन में अगर आप सत्य की राह पर चलेंगे तो कभी भी आपको दुखों का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि सत्य का राह कठिन जरूर है परंतु इससे जीवन सरल हो जाता है।
भागवत के प्रथम स्कंध में उन्नीस अध्याय हैं
भागवत कथा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का प्रथम स्कंध मंगलाचरण के साथ प्रारम्भ होता है इसमें वेदव्यास जी कहते है - सत्यं परं धीमहि अर्थात परम सत्य रूप परमात्मा का हम ध्यान करते है। वेदव्यास जी ने भगवान के किसी विग्रह का वर्णन नहीं किया है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि केवल सत्य स्वरुप परमात्मा का मैं ध्यान करता हूं। ऐसा लिखा है भक्त, साधक किसी भी आराध्य का ध्यान कर ले, जिसमें उसकी श्रद्धा हो, आस्था हो वे सब सत्य-स्वरुप परमात्मा के ही विविध रूप है।
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