कौआकोल के मड़ही पूजा में गंगा-जमुनी संस्कृति की मिल रही झलक
हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है पाण्डेय गंगौट का मड़ही पूजा, टूट जाती है मजहब की दीवार
प्रतिनिधि, विश्वास के नाम कौआकोल :
कौआकोल के पाण्डेय गंगौट स्थित मड़ही में वारिस पिया के अनुयायी नंदबाबा की पूजा का आगाज हो गया है। दो दिनों तक चलने वाले आयोजन में श्रद्धालु मन्नतें पूरी होने की अरदास कर रहे हैं। गंगा-जमुनी संस्कृति के बीच आयोजन शुरू हुआ। पहले दिन बुधवार को 12 बजकर 40 मिनट पर सूफी व वारसी भजन के कलाकारों की प्रार्थना पूर्वक सूफी भजन के बीच विधि विधान के साथ नंदबाबा की समाधि को शुद्ध गंगाजल से पवित्र स्नान कराया गया। इसके बाद यज्ञोपवीत (जनेऊ) चढ़ाया गया। जनेऊ डालने के बाद समाधि पर धोती, कुर्ता (मिरजई) टोपी तथा सरकारी चादरपोशी सहित सभी तरह के शृंगार चढ़ाने के बाद 56 प्रकार के भोग लगाकर नंदबाबा की अराधना की गई। इस सरकारी पूजा व चादरपोशी रस्म अदायगी के बाद से आम लोगों के द्वारा चादरपोशी व पूजन का सिलसिला शुरू हुआ। इस दरम्यान मन्नतें पूरी होने पर दूर दराज व विभिन्न प्रदेशों से आये श्रद्धालुओं द्वारा चादरपोशी एवं प्रसाद चढ़ाने का सिलसिला अनवरत रूप से चलता रहा। इस दरम्यान काफी संख्या में लोग अपनी मन्नतें मांगने के लिए कतारबद्ध होकर नंदबाबा की अराधना में लगे रहे। हर व्यक्ति बारी बारी से नंदबाबा की समाधि पर माथा टेक बाहर निकल रहे थे। 4 बजे से प्रसाद वितरण करने का कार्य शुरू हुआ। पूजा व चादरपोशी तथा मन्नतें छुड़ाने वालों की लंबी कतार लगी रही। इस दो दिवसीय पूजा को लेकर पाण्डेय गंगौट तथा इसके आसपास के कई गांव मेहमानों से पट गये हैं। पूजा के दरम्यान वैसे लोगों की अच्छी खासी भीङ लगी है, जो लोग अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद बाबा की समाधि पर माथा टेकने पहुंचे हैं। मड़ही पूजा की खासियत रही है कि यहां लोग जात पात, धर्म सम्प्रदाय, उंच नीच की दुर्भावनाओं से हटकर एक साथ एक ही तरह से पूजा करते हैं। जो परंपरा आज तक चली आ रही है। यहां की पूजा क नजारा ही अलग ढंग का है। यहां मजहब की दीवार पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती है। क्या हिन्दू और क्या मुस्लमान, बच्चे तथा बूढ़े, सभी एक ही रंग में रंग कर या वारिस की धुन पर थिरकते नजर आते हैं।
दिन रात अनवरत चलता रहा वारसी व सूफी भजन का दौर
मड़ही पूजा के दरम्यान बुधवार को वारसी व सूफी भजनों का दौर दिन व रात भर चलता रहा। विभिन्न प्रदेशों से आये कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक सूफी भजन, गजल, वारसी भजन पेश किये गये। कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले वारसी व सूफी भजन प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा वारिस पिया व नंदबाबा की स्मृति में भजन पेशकर किया गया। इस दरम्यान उन्हें श्रद्धालुओं की जमकर तालियां बटोरने का अवसर भी मिला। सूफी भजन के एवं गजल के गायक अजय उर्फ पप्पू पाण्डेय के साथ तबला पर उपेन्द्र शर्मा एवं राजेन्द्र सिंह जी ने संगत करते हुए लोगों को खूब मनोरंजन का मजा उठाने का मौका दिया। इस दरम्यान बारी बारी से दिन और रात भर कलाकारों द्वारा नाजिया कलाम, कव्वाली एवं लोक संगीत प्रस्तुत कर लोगों को झुमने पर मजबूर कर दिया। पूजा समारोह की सफलता में शारंगधर मोहन, पूर्व जिप सदस्य नारायण स्वामी मोहन, शुभांकर कुमार, मुखिया दीपक कुमार, चंद्रमौली सिंह,अनुज प्रसाद, शिवशंकर सिंह, मुकेश कुमार वारसी के साथ साथ सभी ग्रामीणों की योगदान अहम रहा।
दूसरे प्रदेशों से भी पहुंचे साधु संत
नंदबाबा की वार्षिकोत्सव समारोह के दरम्यान इस दो दिवसीय मड़ही पूजा में देश के विभिन्न प्रांतों से साधु संत व वारसी संप्रदाय के लोग पूजा में शामिल होने पहुंचे हैं। जिनका खास ख्याल मड़ही पूजा आयोजन समिति द्वारा रखा जा रहा है। पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि इस पूजा समारोह में उत्तर प्रदेश के देवाशरीफ, दिल्ली एवं बिहार के कोने कोने से विभिन्न संप्रदाय के साधु संत भाग लेते हैं। सभी साधु संत व श्रद्धालुजन अपनी अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और बाबा से पूरी होने की अरदास करते हैं।
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