-फसलों की पैदावार होगी अधिक
प्रतिनिधि विश्वास के नाम रजौली: प्रखंड क्षेत्र में कम पानी में भी अच्छी खेती हो सकती है।किसान यदि बारिश की पानी का सही से प्रबंधन कर लें।तो खरीफ मौसम में किसान औसतन लगभग 500 मिमी वर्षा की पानी से ही अच्छी खेती कर सकते हैं।लेकिन पानी के प्रबंधन के अभाव में अच्छी खेती के लिए औसतन एक हजार से भी अधिक मिमी वर्षा की आवश्यकता पड़ती है।
------------------------------------------
खरीफ मौसम में करें विभिन्न प्रकार के फसलों की खेती
खरीफ मौसम चार महीने का रहता है।इन चार महीनों में किसान खरीफ के विभिन्न प्रकार के फसलों की खेती करते हैं।इन चार महीनों की खेती के लिए औसतन एक हजार से भी अधिक मिमी बारिश की जरूरत पड़ती है।किसान मात्र औसतन 500 मिमी वर्षा में ही खेती का काम पूरा कर सकते हैं।लेकिन इसके लिए किसानों को वर्षा जल का प्रबंधन करना होगा।
----------------------------------------
खेतों की मेढ़बंदी के कई लाभ, फसलों की पैदावार भी बढ़ेगी
रजौली के अधिकांश किसान धान की खेती शुरू करने के समय खेतों को बनाते हैं।खेत के टूटे हुए मेढ़ को ठीक करते हैं,ताकि खेत में पानी जमा हो सके।यदि किसान बारिश के पहले ही खेतों के टूटे हुए मेढ़ को ठीक कर लें,तो इससे किसानों को अधिक लाभ होगा।खेतों का मेढ़ टूटा होने के कारण बारिश का पानी खेत में जमा नहीं हो पाता है और वह बहकर निकल जाता है।यदि बारिश से पहले ही खेतों के मेढ़ ठीक कर लिये जाते हैं तो बारिश का पानी खेत में जमा होगा।जिससे किसानों को खेती करने में सुविधा होगी।
-------------------------------------------
खेती के लिए जून माह में 200 मिमी वर्षा की जरूरत
रजौली कृषि विभाग के सलाहकार ने बताया कि अभी तक मानसून का आगमन नहीं हुआ है।प्रत्येक वर्ष 15 जून के बाद ही मानसून का आगमन होता है।मानसून के आगमन के बाद सिर्फ जून माह में खेती के लिए औसतन लगभग 200 मिमी वर्षा की जरूरत होती है।फिलहाल अभी मानसून का आगमन हुआ नहीं है।
-------------------------------------------
खेतों में खाद एवं रासायनिक उर्वरक का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें
प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने कहा की किसान अपने खेतों में खाद एवं रासायनिक उर्वरक का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने की अपील की है।उन्होंने बताया कि यदि फसलों के उत्पादन के लिए किसानों द्वारा खेतों अथवा फसलों में अधिक खाद एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं तो न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती है,बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होने के बाद फसलों के उत्पादन में भी कमी आयेगी।लेकिन यदि खाद एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में किया जाए।मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रहेगी और फसलों का उत्पादन भी अच्छा होगा।
----------------------------------------
क्या कहते हैं,कृषि पदाधिकारी
रजौली प्रखंड कृषि पदाधिकारी सारंजय कुमार ने कहा कि खरीफ मौसम शुरू हो गया है।खरीफ फसल की तैयारी में किसान लग गये हैं।किसान धान,मक्का,अरहर,उरद, मूंग,मड़ुआ,मूंगफली,सूर्यमुखी सहित अन्य दलहन एवं तेलहन फसलों की खेती की तैयारी में लग गये हैं।
Post a Comment