पटना: बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर पिछली दो बार से बीजेपी के रामकृपाल यादव काबिज हैं। दो बार लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती ने उन्हें चुनौती दी, लेकिन उन्हें शिकस्त का मुंह देखना पड़ा। तीसरी दफे यानि 2024 में एक बार फिर से मीसा भारती इसी सीट से चुनाव लड़ रही हैं। एक बार फिर से उनके सामने रामकृपाल यादव ही खड़े हैं। ये लालू प्रसाद यादव को भी पता है कि मुकाबला इस बार भी आसान नहीं है। मीसा भारती की मुश्किल को देखते हुए लालू प्रसाद यादव ने अपना आखिरी पैंतरा आजमाया है और अपने पुराने साथी को पास बुला लिया है।
रंजन यादव RJD में हुए शामिल
कभी लालू प्रसाद यादव के साथी रहे रंजन यादव उनसे काफी दूर चले गए थे। 2009 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव को एक तरह से चैलेंज देकर उन्हें लोकसभा चुनाव में हरा दिया था। आप ये भी जान लीजिए कि जिस सीट से रंजन यादव ने लालू प्रसाद यादव को हराया था उस सीट का नाम था पाटलिपुत्र। वही सीट जो बीजेपी के लिए अजेय बनी हुई है और मीसा भारती को दो बार यहां से हार का मुंह देखना पड़ा। इसीलिए इस दफे लालू प्रसाद यादव ने पुरानी बातें भूल रंजन यादव को गले लगाया है।
रंजन यादव को RJD में शामिल कराने का मकसद
लालू प्रसाद यादव कोई भी काम यूं ही नहीं करते। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हें रंजन यादव के हाथों मिली करार हार याद है। लेकिन लालू यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। उन्हें अच्छे से पता है कि वो रंजन यादव से क्यों हारे? आखिर रंजन यादव ने पाटलिपुत्र सीट पर कैसे कब्जा जमाया? लालू बखूबी जानते हैं कि इस सीट पर रंजन यादव उनकी बेटी मीसा भारती के लिए चाणक्य की भूमिका निभा सकते हैं।
क्या रंजन यादव मीसा को दिला पाएंगे जीत?
रंजन यादव को पाटलिपुत्र सीट छोड़े हुए 15 साल हो चुके हैं। तब से लेकर अब तक गंगा में काफी पानी बह चुका है। सबसे बड़ा मसला ये है कि पाटलिपुत्रा सीट पर पटना के तीन प्रमुख क्षेत्र उम्मीदवार की जीत हार तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये तीन क्षेत्र हैं बिक्रम, नौबतपुर और बिहटा। ये तीनों ही लालू प्रसाद यादव के धुर विरोधी जाति यानी भूमिहार बहुल क्षेत्र हैं। ऐसे में रंजन यादव कितनी करामात दिखा पाएंगे, ये कहना फिलहाल मुश्किल ही है।
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