बिहार: CM के आदेश को हल्के में लेना ACS पर पड़ेगा भारी?

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बिहार: CM के आदेश को हल्के में लेना ACS पर पड़ेगा भारी?

 


शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने स्कूलों के समय में परिवर्तन किया तो इसे लेकर खूब हंगामा मचा। शिक्षकों ने इसे लेकर जितना हड़बोंग मचाया, उतनी ही मुखरता से सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष ने भी उनका साथ दिया। बजट सत्र के दौरान विधानमंडल के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर खूब चर्चा हुई। आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सामने आना पड़ा। उन्होंने शिक्षा विभाग के आदेश को अनुचित मानते ही उसे वापस कराने और पुराने नियम से स्कूलों के संचालन का आश्वासन दिया। इसके बावजूद स्कूलों का समय में परिवर्तन नहीं किया गया। विधान परिषद में इस मुद्दे को संजीव कुमार और नवल किशोर यादव ने उठाया था। विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के सचेतक नीरज कुमार ने इसे लेकर सभी जिला पदाधिकारियों और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को रिमाइंडर भेजा है। इसकी काफी शिक्षा विभाग और निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग के अलावा विधान परिषद के सदस्य नवल किशोर यादव और संजीव कुमार को भी भेजी गई है।

सीएम के आदेश का पालन नहीं

सचेतक नीरज कुमार ने 27 मार्च 2024 को भेजे अपने पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री द्वारा सदन में दिए गए वचन/ आश्वासन का परिपालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है- ‘विदित है कि गत बजट सत्र अवधि 2024 में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा विधान मंडल में बिहार सरकार की ओर से सदन की भावना को देखते हुए सूबे के विद्यालयों की संचालन अवधि निर्धारित किए जाने हेतु वचन/ आश्वासन दिया गया था। लेकिन आज महीने भर बीत जाने के पश्चात भी आपके द्वारा इस आशय का परिचालन नहीं किया जा रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत भारतीय संविधान के प्रावधानों एवं बिहार विधानमंडल की शक्तियों तथा बिहार कार्यपालिका नियमावली के उपबंधों के विपरीत है। नीरज कुमार ने ये पत्र सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और सभी जिला प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को अपने लेटर पैड पर जारी किया है।

वेतन कटौती गैरकानूनी

पत्र में आगे लिखा है- ‘माननीय मुख्यमंत्री के आधिकारिक वक्तव्य के बावजूद सूबे के विद्यालयों में आपके साथ-साथ जिला एवं प्रखंड स्तर के सभी विभागीय अधिकारियों के द्वारा शिक्षकों की निरंतर वेतन कटौती किए जाने का आदेश निर्गत किया जा रहा है, जो अनुचित एवं गैरकानूनी है। आपका यह कृत बिहार विधानमंडल की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के तहत विधायिका के निमित्त पर प्रदत्त शक्तियों के विपरीत है। ध्यान रहे कि सदन में मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी केके पाठक ने स्कूलों के समय में परिवर्तन नहीं किया। इसके अलावा शिक्षकों का वेतन लगातार काटा जा रहा है। ये पूरी तरह से अमानवीय है।

स्कूलों की संचालन अवधि

विद्यालयों की संचालन अवधि पूर्वतः रखने की बात कहते हुए में पत्र में लिखा गया है- ‘आपसे अपेक्षा है कि संसदीय प्रणाली में विधायिका को प्रदत्त शक्तियों, उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा सदन में दिए गए आश्वासन के आरोप में सरकारी विद्यालयों की संचालन अवधि पूर्वाह्न 10 बजे से अपराह्न 4 बजे तक ही मान्य किया जाए तथा इस क्रम में शिक्षकों की वेतन कटौती का आदेश वापस लिया जाए। जानकारों की मानें, तो अब केके पाठक का बचना मुश्किल हैं। उन्हें मुख्यमंत्री के हिसाब से स्कूलों की टाइमिंग करनी होगी। इसके अलावा बात-बात पर शिक्षकों के वेतन काटने का मामला गरमाने लगा है। बिहार में विधायिका यानी सदन से ऊपर केके पाठक नहीं हैं। नीरज कुमार ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से चेतावनी जारी की है। कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि बहुत जल्द इसका असर देखने को मिलेगा।

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