काराकाट लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी पवन सिंह के मैदान में उतरने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय और दिलचस्प हो गया है. बताया जा रहा है कि पवन सिंह जिस जाति राजपूत से आते हैं वो एनडीए का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन पवन सिंह के उतरने के बाद राजपूत जाति के वोट में सेंध लग सकती है. ऐसे में इसका खामियाजा उपेन्द्र कुशवाहा को उठाना पड़ सकता है, लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा ऐसा नहीं मानते हैं और दावा करते है उनकी टक्कर में कोई नहीं है.
नामांकन करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में उपेन्द्र कुशवाहा से जब पवन सिंह को लेकर सवाल पूछा गया तब उन्होंने पवन सिंह को लेकर न सिर्फ अपनी राय रखी, बल्कि इस सवाल का जवाब भी दिया कि पवन सिंह अभी तक बीजेपी में ही हैं. उपेन्द्र कुशवाहा ने पवन सिंह के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि उनके चुनाव लड़ने पर न तो हमें कोई असर पड़ रहा है और न ही जनता पर कोई असर दिख रहा है. कोई नहीं है टक्कर में क्यों पड़े हो चक्कर में, उनके चुनाव लड़ने का कहीं कोई अर्थ नहीं है.
उपेंन्द्र कुशवाहा ने कहा कि यदि वह (पवन सिंह) भारतीय जनता पार्टी में हैं तो उनकी चिंता भारतीय जनता पार्टी को करनी है. हमलोगों को उनकी चिंता नहीं करनी चाहिए. भाजपा के लोग क्या करना है, क्या नहीं करना है, यह खुद से तय कर लेंगे. उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव के मुद्दे को लेकर पूछे गए सवाल पर साफ-साफ लफ्जों में कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पिछले 10 वर्षों में काम किया है, साथ ही बिहार में नीतीश सरकार ने 18 सालों में बिहार के विकास के लिए जो काम किया है उसी को लेकर जनता के मन में जबरदस्त आकर्षण है और वोट हम विकास के मुद्दे पर ही मांग रहे हैं.
वहीं, पवन सिंह लगातार काराकाट में अपने प्रचार को नई धार दे रहे हैं और इसी कड़ी में उन्होंने खेसारी लाल यादव के पिता जी को प्रचार में बुलाकर माहौल को और गर्मा दिया है. खबर है कि कुछ दिनों में खेसारी लाल यादव भी प्रचार के लिए आने वाले हैं. पवन सिंह के समर्थकों में युवाओं का जबरदस्त समर्थन दिख रहा है जिसके भरोसे वो मैदान में हैं, साथ ही अपने स्वजातीय वोटर के साथ साथ तमाम जातियों के युवा वोटरों पर भी उनकी नजर है.भाकपा माले के उम्मीदवार राजा राम सिंह उपेन्द्र कुशवाहा और पवन सिंह के आपसी तकरार का फायदा उठाने में लगे हुए हैं. राजा राम सिंह को उम्मीद है कि महागठबंधन के कोर वोटर के साथ साथ माले का कैडर वोट और स्वजातीय कुशवाहा वोटर में सेंध लगाकर जीत आसान हो सकती है. बहरहाल, उपेन्द्र कुशवाहा को उम्मीद है कि चुनाव के पहले योगी आदित्यनाथ सहित बीजेपी के बड़े नेताओं की रैली के साथ साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रैली के बाद माहौल पूरी तरह से बदलेगा और उसका फायदा उन्हें मिलेगा.
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