जल संकट : नदियां हैं प्यासी, डेड स्टोरेज लेवल पर जलाशय

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जल संकट : नदियां हैं प्यासी, डेड स्टोरेज लेवल पर जलाशय


कोल महादेव जलाशय में बचा है डेढ़ फीसदी पानी

फुलवरिया व जॉब जलाशय सूखने के कगार पर  

राहुल कुमार, विश्वास के नाम : 

सुखाड़ प्रभावित इलाकों में शुमार नवादा जिला एक बार गंभीर जल संकट से जूझने लगा है। जिले की तमाम नदियां खुद प्यासी हैं तो जलाशय भी सूखने के कगार पर है। ऐसी स्थिति में जिले के लोगों को आने वाले दिनों में कई प्रकार की दुश्वारियों का सामना करना पड़ सकता है। गांवों में जलस्तर में गिरावट के कारण पानी की समस्या भयावह होती जा रही है। जिले के कई गांवों के लोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं तो अब खेती-किसानी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गौरतलब है कि नवादा जिले में तीन जलाशय हैं- कोल महादेव, जॉब और फुलवरिया। जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन तीनों जलाशय सूखने के कगार पर पहुंच चुके हैं। जो चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस बार मॉनसून ने साथ नहीं दिया तो परिस्थितियां विपरीत हो सकती हैं। 

यही सिलसिला रहा तो सिंचाई की होगी समस्या

जल संसाधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोल महादेव जलाशय में अभी मात्र डेढ़ फीट पानी बचा हुआ है। जबकि फुलवरिया व जॉब जलाशय डेड स्टोरेज लेवल पर पहुंच गया है। अब स्थिति यह है कि विभाग चाहकर भी इन दोनों जलाशयों से किसानों के लिए पानी नहीं छोड़ सकते हैं। गर्मी के चलते जलाशयों के सूखने का सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में सिंचाई की बड़ी समस्या आकर खड़ी हो जाएगी। 

60 दिनों तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से आपूर्ति की है उपलब्धता 

जलाशयों के सूखने की खबरों के बीच पेयजल संकट को लेकर लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है। रजौली प्रखंड के 10 पंचायतों की 90 गांवों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से आमजनों तक शुद्ध पेयजल मुहैया कराई जाती है। इस कार्य में जुटी एजेंसी जिंदल के अधिकारी बताते हैं कि फुलवरिया जलाशय से अभी प्रतिदिन सात लाख लीटर पानी का सप्लाई किया जा रहा है। सुबह छह बजे से आठ बजे तक और दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक पानी आपूर्ति हो रहा है। लेकिन जलाशय डेड स्टोरेज लेवल पर पहुंच गया है तो आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ सकती है। हालांकि जिंदल के अधिकारी ने कहा कि फिलहाल 60 दिनों तक लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद जलस्तर में इजाफा नहीं होने पर दिक्कत हो सकती है। 

गांवों में गिरता जा रहा वाटर लेवल

बता दें कि पहाड़ी इलाकों में लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। वाटर लेवल गिर जाने के कारण चापाकल पानी नहीं उगल रहे। पहाड़ी क्षेत्रों में बसे लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। कई जगहों पर लोग नदियों में चुआं खोद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। रजौली, मेसकौर, सिरदला आदि प्रखंडों में जलस्तर में काफी गिरावट हुई है। जिससे लोग काफी परेशान हैं। 

मॉनसून की ओर नजरें हैं टिकी

जलाशयों के सूखने के कगार पर पहुंचने के बाद विभाग की नजर पूरी तरह मॉनसून पर टिकी है। अधिकारियों का मानना है कि बारिश अच्छी हुई तो जलाशय पुन: पानी से लबालब होंगे। पिछले दो बार से मॉनसून की हालत ठीक नहीं रही है। मॉनसून के सीजन में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जलाशयों में पानी का आयात नहीं हो सका। जबकि खपत बरकरार है। अगर इस बारिश ने साथ दिया तो परिस्थितियां अनुकूल होंगी और आम लोगों को लाभ मिलेगा।  

बरसात पर आश्रित हैं नवादा की नदियां

नवादा जिले में सकरी, खुरी, पंचाने, धर्नाजय, ढाढ़र, नाटा, तिलैया आदि नदियां पूरी तरह बरसाती हैं। पर्याप्त वर्षा होने पर इन नदियों में पानी नजर आता है और वर्षा थमते ही नदियां पुन: वहीं स्थिति में पहुंच जाती हैं। अधिकांश समय नदियां खुद प्यासी रहती हैं।

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