आपूर्ति पदाधिकारी व गोदाम प्रबंधक की मिलीभगत से डिलरों की मनमानी चरम पर

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आपूर्ति पदाधिकारी व गोदाम प्रबंधक की मिलीभगत से डिलरों की मनमानी चरम पर


-डिलर घर घर जाकर लगाते हैं अंगूठा, पांच किलो के जगह तीन से चार किलो देते हैं खाद्यान्न

नवादा( रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के पकरीबरावां में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी की मिलीभगत से डिलरों की मनमानी चरम पर है। एक तरफ केन्द्र सरकार गरीबों को मुफ्त राशन देने के लिए कटिबद्ध है तो दूसरी ओर प्रखंड के पदाधिकारी और डीलर गरीबों की हक मारी कर रहे हैं।

गोदाम प्रबंधक सीएमआर की मिलीभगत से घटिया चावल गोदाम पर मंगवा संबंधित डिलरों के दुकान पर भेजवा देते हैं। हालात यह है कि जिस चावल को मवेशी भी नहीं खा सकते हैं फिर मनुष्य के लिए क्यों?

दुसरी ओर आपूर्ति पदाधिकारी की मिलीभगत से लाभुकों को पांच किलो के जगह तीन से चार किलो ही अनाज दिया जा रहा है। इतना ही नहीं कुछ वैसे भी डीलर हैं जिनका स्थानीय पदाधिकारी से सांठ गांठ करके अपने लाभुक के घर घर जाकर अगूंठा लगवा रहे हैं। 

कुछ इसी तरह का मामला धेवधा पंचायत छतरवार गांव के डीलर संगीता कुमारी का है जो लाभुक के गांव मधुरापुर और मड़हल का है। पीडिएस बिक्रेताके पति उदय चौधरी के द्वारा घर घर जाकर अंगूठा लगवाया जाता है और लाभुक को अगले महीने राशन के लिए बुलाकर परेशान किया जाता है। कभी कभी तो अपशब्दों का भी प्रयोग कर कहा जाता है ज्यादा नहीं बोलो जहां जाना हो जाओ।

सर्वाधिक परेशानी यह है कि लाभुक के घर से डीलर का दुकान जाने के लिए 16 से 17 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है और एक व्यक्ति का भाड़ा 50 से 60 रुपए लगता है। लाभुक बताते हैं कि चार किलो राशन के लिए इतना भाड़ा कहां तक सही है। अगर हम सभी का राशन राजेबीघा गांव कर दिया जाए तो दूरी मात्र दो किलोमीटर रहेगी। इस मामले में न तो डीलर सुनता है और न ही पदाधिकारी। 

आखिर सुने भी तो क्यों? अंगूठा तो गांव में लग ही जाता है। अगर राशन नहीं लाने गए तो डीलर कालाबाजारी कर सत्यवादी हरिश्चन्द्र बन जाता है। क्योंकि खाद्यान्न लेने के पूर्व ही अंगूठा लगवा लाभुकों को ठेंगा दिखाना यहां आम बात है।

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