युद्ध के स्थानों पर भगवान बुद्ध के संदेशों की है आवश्यकता,भारत से जो भी गए शस्त्र नही शास्त्र लेकर गए है,कहा:राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

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युद्ध के स्थानों पर भगवान बुद्ध के संदेशों की है आवश्यकता,भारत से जो भी गए शस्त्र नही शास्त्र लेकर गए है,कहा:राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

बुद्धम शरणं गच्छामि के उदघोष से गुंजायमान हुआ बोधगया


कोलकाता में थाईलैंड के महावाणिज्यदूत सीरीपोर्न तांतियाथेप हुई शामिल


शो



भायात्रा के साथ शुरू हुआ भगवान बुद्ध की 2568 वीं जयंती

प्रतिनिधि विश्वास के नाम बोधगया के महाबोधी मंदिर के बोधी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध की 2568 वीं जयंती समारोह की शुरुआत शोभायात्रा के साथ की गई। 80 फीट बुद्ध मूर्ति से महाबोधी मंदिर तक शोभा यात्रा निकाली गई।बुद्ध जयंती समारोह में विभिन्न प्रदेशों से हजारों की संख्या में बौद्ध श्रद्धालु और बौद्ध भिक्षु शामिल हुए।बिहार राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और थाइलैंड के महावाणिज्यदूत सिरीपोर्न तंतियापेथ के द्वारा दीप प्रज्वलित कर बुद्ध जयंती समारोह का उद्घाटन किया गया।इस दौरान बोधगया में फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था तथा महाबोधी मंदिर को आकर्षक रूप से सजाया गया है। कार्यक्रम का समापन के बाद बौद्ध भिक्षुओं को बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा संघदान किया गया। बुद्ध जयंती  समारोह में बिहार राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बताया कि भगवान बुद्ध का सार यहां बसा है। इसी बीच सभी श्रद्धालु,उपासक, उपासिका उपस्थित हुए है।काफी संख्या में महाराष्ट्र के श्रद्धालु आए है।पूरे भारत हीं नही विश्व भर के लिए यह पवित्र दिन है। यहां से जो भी विचार दूसरे प्रदेशों में गया है पूरे दुनिया को इसे अपनाने का समय आ गया है।करुणा,श्रद्धा,प्रेम और शांति का  संदेश दिया है। जहां जहां भारत के लोग गए है करुणा और शांति का संदेश दिया है। शस्त्र नही शास्त्र लेकर गए है यह हमारी परंपरा है।गौतम ने बुद्ध को धारण किया था। देश युद्ध करने की कतार पर खड़ा है ।भारत ने पुरे विश्व को कभी युद्ध नहीं दिया बल्कि बुद्ध दिया है।और शांति,अहिंसा और करुणा का संदेश दिया है। जहां युद्ध चल रहा है वहां बुद्ध के संदेश की आवश्यकता है।भगवान बुद्ध के समता ,समन्वय के संदेश को हमलोग भूल गए है।

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