किऊल - गया रेलखंड के वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वाइंट पर पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव suvidha

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किऊल - गया रेलखंड के वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वाइंट पर पेयजल सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव suvidha

 


नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) प्रति माह माल ढुलाई से लगभग पांच करोड़ रूपये का राजस्व देने वाला पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल के किउल-गया रेलखंड पर वारिसलीगंज रेलवे रैक प्वाइंट पर नया रैक प्वाइंट तो बना, लेकिन सुविधाओं का घोर अभाव है। ऐसे में काम करने वाले मज़दूरों को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही मज़दूरों के समक्ष पेयजल संकट गहराने लगा है।

भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में रैक प्वाइंट पर कार्य करने वाले मज़दूरों को एक शेड तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मजदूरों को पानी पीने के लिए रेलवे द्वारा चापाकल या नल की व्यवस्था रैक प्वाइंट पर नहीं कराई गई है। फलतः प्यासे मज़दूरों काम छोड़कर अन्यत्र जाकर प्यास बुझानी पड़ती है। उक्त रैक प्वाइंट पर करीब 150 मजदूरों के अलावा ट्रैक्टर व ट्रक आदि के चालकों को तपती लू से बचने के लिए शेड तक नहीं बनाई गई है। 

बेहाल मजदूरों ने रेल मंत्री समेत रेल अधिकारियों से पेयजल तथा शेड आदि की उपलब्धता करवाने की मांग की है। 

इस प्रकार की समस्याओं से स्टेशन के निरीक्षण में पहुंचने वाले रेल के वरीय अधिकारियों को कई बार लिखित रूप आवेदन देकर मजदूर मेट द्वारा गुहार लगाई जा चुकी है, परंतु समस्या जस की तस  है।

मजदूर मेट सह नप के बलबापर ग्रामीण मिथिलेश राउत कहते हैं रैक प्वाइंट पर प्रति माह विभिन्न बस्तुओं का 20 रैक लगता है, जिसको अनलोड करने को लेकर करीब डेढ़ से दो सौ से अधिक मजदूर रैक प्वाइंट पर भीषण गर्मी से लेकर बरसात एवं हाड़ कंपा देने वाले ठंढ के मौसम में कार्य करते हैं। परंतु रेलवे प्रशासन द्वारा मज़दूरों की समस्याओं यथा पेयजल, शौचालय एवं शेड आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई है। 

संवेदक या कंपनी के सीएनएफ व मुंशी मैनेजर भी तपती गर्मी में रैक प्वाइंट पर कार्य करते हैं। करीब एक हज़ार मीटर लंबे रैक प्वाइंट पर रेल प्रशासन द्वारा एक भी चापाकल नहीं लगवाया गया है। 

नया रैक प्वाइंट का निर्माण एवं ट्रैक दोहरीकरण के बाद मजदूरों की परेशानी बढ़ गई है। मज़दूर सरदार कहते हैं कि जब भी रेलवे स्टेशन पर कोई अधिकारी निरीक्षण में पहुंचते हैं तब हमलोग अपनी समस्याओं का आवेदन अधिकारी को सौंपते है। आश्वासन भी मिलता है, बाबजूद समस्या का निराकरण नहीं हो पाता है। 

मजदूर बताते हैं कि जब भी कोई रैक खड़ी होती है तब उसे निर्धारित समय में खाली करना होता है। अन्यथा संवेदक व सीएनएफ से रेलवे जुर्माना वसूलती है। वैसी परिस्थिति जिसमें कड़ाके की गर्मी हो या लगातार बारिश मज़दूरों को जान लगाकर रैक खाली करने की विवशता होती है।  बरसात के दिनों में शेड के अभाव में व्यापारिक वस्तुओं का नुकसान सीएनएफ व महाजन को उठाना पड़ता है। रैक प्वाइंट पर कार्यरत मजदूरों की मूलभूत समस्याओं को दूर करने में रेल अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

एक सप्ताह पहले चापकल लगाने का दिया गया निर्देश:-

एक सप्ताह पूर्व दोहरीकरण कार्य का निरीक्षण के दौरान दानापुर मंडल के रेल प्रबंधक अधिकारियों की टीम के साथ वारिसलीगंज पहुंचे थे, जिसके बाद मज़दूरों में समस्या से निजात मिलने की आस जगी है। हालांकि, डीआरएम ने आवेदन बाद तीन दिनों के भीतर पेयजल के लिए चापाकल लगवाने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया था, परंतु एक सप्ताह बाद भी चापाकल लगाने की दिशा में कोई पहल शुरू नहीं कि जा सकी है। 

इस संबंध में पूछे जाने पर आईओडबल्यू तारकेश्वर प्रसाद ने बताया कि रेल रैक प्वाइंट नया निर्माण हुआ है, जिस कारण सुविधा उपलब्ध करवाने में समय लग रहा है। मजदूरों को पानी उपलब्ध कराने के लिए रैक प्वाइंट पर एक सप्ताह में चापाकल लगवा दिया जाएगा।

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