नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के अकबरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत अनिल कुमार को ग्लोबल यूनिवर्सिटी ऑफ बोस्टन के द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि दी गई है। उपाधि मिलने के बाद उनके नाम के आगे डॉक्टर शब्द लग गया है। अब वे डॉक्टर अनिल कुमार के नाम से जाने जाएंगे।
उनके इस उपलब्धि पर शुभचिंतकों में खुशी का माहौल है। वहीं बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
डॉक्टर की उपाधि मिलने के बाद उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल को गोवा में कार्यक्रम आयोजित कर डॉक्टर की उपाधि प्रदान की गयी जो मेरे लिए गौरव की बात है।
उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा अब तक समाज हित में किए गए कल्याणकारी कार्यों को देखते हुए हेल्थ केयर के रूप में सम्मानित किया गया है। यह सम्मान मेरे लिए और सिस्टम के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने एक संदेश दिया है कि सरकार के द्वारा जो भी कार्य जन कल्याणकारी के लिए दिए गए हैं, उसे ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक धरातल पर उतारने का काम करें, ताकि उन्हें भी सम्मानित किया जा सके।
बता दें कि वर्ष 2011 में नक्सल प्रभावित कौआकोल प्रखंड में स्वास्थ्य प्रबंधक के पद पर अनिल कुमार की नियुक्ति हुई थी। उस समय कौआकोल के 18 गांव नक्सल प्रभावित थे, जहां के लोग स्वास्थ्य सेवा से कोसों दूर थे। इन गांवों को स्वास्थ्य सेवा से जोड़ना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन, अनिल कुमार ने चुनौतियों के बीच अपने कार्य कुशलता का परिचय देते हुए उन सभी 18 गांवों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का काम किया। जिसका मूल्यांकन राज्य स्वास्थ्य समिति के पदाधिकारी के द्वारा की गई और उनके कार्यों को सराहा गया। बिहार सरकार के द्वारा बिहार स्टोरी ऑफ रूटीन इम्यूनाइजेशन नामक एक पुस्तक प्रकाशित किया गया जिसमें नक्सल प्रभावित कौआकोल में अनिल कुमार के द्वारा किए गए कार्यों को रेखांकित किया गया है। इन्हीं सब उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए उन्हें डॉक्टर की उपाधि दी गई है। जिसके बाद से स्वास्थ्य कर्मी लगातार उन्हें बधाई दे रहे हैं।
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