जिले में 22 कैटल ट्रफ में मात्र आठ कर रहे काम, 14 पेयजल टैंक खराब

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जिले में 22 कैटल ट्रफ में मात्र आठ कर रहे काम, 14 पेयजल टैंक खराब


नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया)
जिले में तपीश बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में सर्वाधिक परेशानी पशुओं को हो रही है। वैसे जिला वर्ष 1967 से ही सतत

सुखाड़ क्षेत्र घोषित है। भले इसकी सुविधा जिला वासियों को नहीं मिल पा रहा है।

पशुओं को नियमित पीने का पानी मिले इसके लिए सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च कर इंतजाम किया गया, लेकिन वह कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। पशुओं को पीने का पानी मिले, इसके लिए लगभग 10 लाख रुपये प्रति कैटल टर्फ पशु पानी नाद बनाने के लिए सरकार ने खर्च किया है। जिले में 30 कैटल टर्फ बनाया जाना था, इसमें 22 पशु नाद बनाकर तैयार किया गया। प्रत्येक पशु नाद को एक मीटर चौड़ा व तीन मीटर लंबा बनाते हुए सोलर प्लेट के माध्मय से बिजली की व्यवस्था करनी थी, ताकि नियमित पानी की उपलब्धता हो सके। इसमें एक वोल्ट का मोटर लगाकर पशुओं के लिए पीने के पानी का इंतजाम करना था।

जिले में बनाये गये 22 कैटल टर्फ में से 14 खराब होकर बेकार हो गये हैं। शेष बचे आठ पानी का नाद विभिन्न गांवों में फिलहाल विभाग के अनुसार काम कर रहा है। वैसे सच्चाई इसके विपरीत है। 

पशुपालन विभाग, पीएचइडी पर फोड़ रहा ठीकरा:-

जिले के 14 प्रखंडो में विभाग के बनाये गये 22 कैटल ट्रफ में सिर्फ आठ कैटल ट्रफ काम कर रहा है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पीएचडी विभाग से इसके बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गयी है। कैटल ट्रफ परियोजनाओं का लाभ सूखाग्रस्त क्षेत्रों में देना था, जहां पानी का अभाव है। गर्मी के दिनों में पशुओं को होने वाली पानी से परेशानी के लिए सरकार के द्वारा कैटल ट्रफ परियोजनाओं को लागू किया गया था,लेकिन, इन परियोजना सिर्फ कागजों पर ही ठीक-ठाक है, जमीनी स्तर पर बिल्कुल ही समाप्त हो चुकी है। विशेषकर कैटल ट्रफ परियोजनाओं के बारे में ग्रामीणों को भी पता नहीं है और शायद विभाग इसकी कोशिश भी नहीं करता है। 

सौर ऊर्जा प्लेट से चलती है मोटर:-

कैटल ट्रफ परियोजना के अंतर्गत एक एचपी मोटर पंप से पानी की सप्लाई सौर ऊर्जा प्लेट के पावर से करनी थी। इसमें एक मीटर लंबा व तीन मीटर चौड़ा नाद बनाया गया, जिसमें पशु आसानी से पानी पी सके। पंप के संचालन का जिम्मा पशुपालन विभाग को देखना था। 

2019 में बने सभी मशीन खराब हो चुके हैं। केवल आठ जगहों पर अभी पशु नाद की सुविधा काम कर रही है। पशुपालन विभाग के अनुसार किसी कैटल टर्फ का मोटर खराब है, तो किसी का का सोलर प्लेट टूटा हुआ है,कहीं नाद टूट गया है तो किसी सोलर पैनल और मोटर से पानी नहीं आ रहा है। इन्हें बनाने की योजना विभाग के पास नहीं है। 

इन परियोजनाओं पर ना पशुपालन विभाग का ध्यान है और ना ही पीएचइडी विभाग का। सरकार की इस योजना का सुधबुध लेने वाला कोई नहीं है। 

कहते हैं अधिकारी:-

जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ दीपक कुशवाहा ने कहा कि कैटल ट्रफ खराब होने की सूचना पीएचइडी विभाग को दिया गया है। बनाने का कार्य पीएचईडी विभाग ने किया था। इसकी मरम्मत को लेकर क्या किया जा सकता है इसके लिए विभाग से जानकारी ले रहे हैं।

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