क्या कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी छोड़ने की वजह आतिशी हैं? केजरीवाल की खामोशी के क्या मायने

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क्या कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी छोड़ने की वजह आतिशी हैं? केजरीवाल की खामोशी के क्या मायने


 दिल्ली में विधानसभा चुनाव से कुछ अरसे पहले कैलाश गहलोत (Kailash Gehlot) ने आम आदमी पार्टी (AAP) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. कैलाश गहलोत के पार्टी छोड़ने की क्या वजह है? गहलोत के इस्तीफे के लिए 'आप' के नेता  बीजेपी को दोष दे रहे हैं. वे कह रहे हैं केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच के दबाव में आकर गहलोत ने पार्टी छोड़ी है. लेकिन क्या वास्तव में यही वजह है, या फिर गहलोत और मुख्यमंत्री आतिशी (Atishi) के बीच महत्वाकांक्षाओं का टकराव इसकी वजह है?   

आम आदमी पार्टी और कैलाश गहलोत के बीच दरार काफी दिनों से बढ़ती जा रही थी. उनके इस्तीफे की पटकथा पिछले साल दिसंबर में लिखी गई थी जब कैलाश गहलोत से न्याय विभाग लेकर आतिशी को दे दिया गया था. कैलाश गहलोत के करीबी लोग बताते हैं कि तभी यह साफ हो गया था कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का कैलाश गहलोत पर आतिशी के बराबर भरोसा नहीं है. फिर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के जेल जाने के बाद 15 अगस्त को झंडा फहराने के मुद्दे पर केजरीवाल चाहते थे कि आतिशी झंडा फहराए लेकिन उप राज्यपाल ने कैलाश गहलोत को झंडा फहराने का मौका दिया.  सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कैलाश गहलोत मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावेदार थे, जो कि उन्हें न देकर आतिशी को दे दिया गया. 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि कैलाश गहलोत बीजेपी की स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं. जबकि कैलाश गहलोत ने अपने पत्र में लिखा है कि यमुना की सफाई और 'शीशमहल' के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी की साख लगातार गिर रही थी.

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल गहलोत के इस्तीफे पर खामोश हैं. बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल झा के 'आप' में स्वागत के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल से गहलोत के अचानक इस्तीफे के बारे में पूछा गया. इस पर उन्होंने तुरंत माइक अपने बगल में बैठे पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक की ओर मोड़ दिया. दुर्गेश पाठक ने कहा कि कैलाश गहलोत से कई महीनों से ईडी और आयकर विभाग पूछताछ कर रहा था और छापेमारी कर रहा था.

जब रिपोर्टर ने उनसे जवाब देने के लिए कहा, तो इससे पहले कि पाठक बोलना शुरू करते केजरीवाल ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप जवाब चाहते हैं, है न?" केजरीवाल ने इसके तुरंत बाद बीजेपी की आलोचना की, लेकिन गहलोत के इस्तीफे का जिक्र नहीं किया.

गहलोत के पास कोई विकल्प नहीं था : दुर्गेश पाठक

दुर्गेश पाठक ने कहा कि, ''कैलाश गहलोत से कई महीनों से ईडी और आयकर विभाग पूछताछ कर रहा है और छापेमारी कर रहा है, इसलिए उनके पास कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि, लेकिन इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी दिल्ली चुनाव हार चुकी है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं है. वे ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग के दम पर लड़ रहे हैं और हम लोगों के मुद्दों पर लड़ रहे हैं." 

इससे पहले पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि गहलोत का इस्तीफा बीजेपी की "गंदी राजनीति" का हिस्सा है. उन्होंने 'आप' के ट्विटर हैंडल से शेयर किए गए वीडियो में कहा, "कैलाश गहलोत पर ईडी-सीबीआई के छापों के जरिए दबाव बनाया जा रहा था और वह बीजेपी की स्क्रिप्ट के मुताबिक बोल रहे हैं. दिल्ली चुनाव से पहले मोदी वॉशिंग मशीन चालू हो गई है. अब इसके जरिए कई नेताओं को बीजेपी में शामिल किया जाएगा."

विपक्षी दल अक्सर 'वाशिंग मशीन' शब्द का इस्तेमाल करते हुए बीजेपी पर विपक्षी नेताओं को केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की धमकी देकर पार्टी बदलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते रहते हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि ऐसे नेताओं के खिलाफ कोई भी कार्रवाई बीजेपी में शामिल होते ही रोक दी जाती है.

गहलोत का 'आप' के भीतर गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा

आम आदमी की प्रतिक्रिया गहलोत द्वारा अपने एक्स हैंडल पर अपना इस्तीफा पत्र पोस्ट करने के करीब एक घंटे बाद आई. पार्टी के वरिष्ठ नेता गहलोत गृह और परिवहन जैसे प्रमुख विभागों के प्रभारी थे. उन्होंने केजरीवाल को संबोधित पत्र में 'आप' के भीतर गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा किया है.

कैलाश गहलोत ने लिखा, "राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से आगे निकल गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए हैं. उदाहरण के लिए यमुना को ही लें, जिसे हमने स्वच्छ नदी में बदलने का वादा किया था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सका. अब यमुना नदी शायद पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है."

गहलोत ने केजरीवाल पर साफ तौर पर से निशाना साधते हुए "शीशमहल" जैसे कई शर्मनाक और अजीब विवादों का उल्लेख किया है. शीशमहल शब्द का इस्तेमाल बीजेपी केजरीवाल के कार्यकाल के दौरान रिनोवेट किए गए मुख्यमंत्री आवास के लिए करती है. गहलोत ने कहा है कि इस तरह के विवाद "अब सभी को संदेह में डाल रहे हैं कि क्या हम अभी भी आम आदमी होने में विश्वास करते हैं."


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