ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतरजिला गिरोह का खुलासा, पांच गिरफ्तार

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ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतरजिला गिरोह का खुलासा, पांच गिरफ्तार


 

इस्लामिक फाइनेंस समेत समेत अन्य कंपनियों का फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर कर रहे थे ठगी

वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के पैंगरी गांव के बगीचे में छापेमारी कर ठगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार

प्रतिनिधि, विश्वास के नाम नवादा :

वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के पैंगरी गांव के बगीचे में साइबर थाना की पुलिस ने छापेमारी कर ऑनलाइन ठगी करते अंतरजिला गिरोह के पांच अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए अपराधियों में वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के पैंगरी गांव के केदार प्रसाद का पुत्र शशिकांत कुमार उर्फ बबलू, नरेश प्रसाद का पुत्र पवन कुमार व नवल किशोर प्रसाद का पुत्र शशिकांत कुमार उर्फ डबलू, नालंदा जिले के बिहारशरीफ थाना क्षेत्र के खंदकपर मोहल्ले के शैलेन्द्र कुमार सिंह का पुत्र शशिकांत कुमार सिंह उर्फ गुड्डू एवं नालंदा जिले के दीपनगर थाना क्षेत्र के देवीसराय बिहारशरीफ के अशोक प्रसाद का पुत्र रवि कुमार शामिल हैं। मौके से 16 मोबाइल समेत विभिन्न राज्यों के लोगों के नाम, मोबाइल नम्बर, ई-मेल आईडी, राज्य, दिनांक आदि लिखी दो कॉपियां, 04 पेज कस्टमर डेटा शीट, 04 आधार कार्ड, 04 वोटर आईडी, 01 पैन कार्ड व 04 एटीएम कार्ड बरामद किए गए। साइबर डीएसपी प्रिया ज्योति ने प्रेस वार्ता कर पूरे मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस्लामिक फायनेंस बैंक व जूडियो तथा डोमिनोज नामक कम्पनियों के नाम पर विभिन्न राज्यों के उपभोक्ताओं को झांसा देकर ऑनलाइन ठगी की सूचना पर विशेष टीम का गठन किया गया। प्रतिबिंब पोर्टल व नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर मिल रही शिकायतों के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई पटना द्वारा उपलब्ध कराये गये ब्यौरे पर छापेमारी की गई। इस दौरान पांच लोगों को पकड़ा गया, जबकि अन्य अपराधी भाग निकले। उन्होंने बताया कि गिरोह द्वारा जीरो फीसदी ब्याज पर इस्लामिक फायनेंस बैंक से लोन देने तथा जूडियो तथा डोमिनोज कम्पनी का फ्रेंचाइजी देने का झांसा देकर ऑनलाइन ठगी की जा रही थी। अपराधियों के पास विभिन्न राज्यों के उपभोक्ताओं के नाम, पता, मोबाइल नंबर आदि डेटा पहले से उपलब्ध होता है। इनके द्वारा उपभोक्ताओं को फोन कर लोन दिलाने का झांसा दिया जाता था। लोन स्वीकृत होने का अप्रूवल लेटर भेजकर उपभोक्ताओं से पहले 1750 रुपये प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में मांगे जाते थे। इसके बाद अन्य तरीके से और रुपयों की मांग की जाती थी। वहीं उपरोक्त कम्पनियों का फ्रेंचाइजी देने के नाम पर रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर दो से तीन लाख रुपये मांगे जाते थे। इसके बाद नो ऑब्जेक्शन, सर्टिफिकेट व अन्य प्रोसेस के लिए पांच से छह लाख रुपये की बड़ी रकम मांगी जाती थी। धीरे-धीरे ठगी का आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता था। उन्होंने बताया कि बरामद किये गये डेटा से तेलंगाना के एक व्यक्ति की पत्नी से फ्रेंचाइजी देने के नाम पर अपराधियों पर 8.50 लाख रुपये ठग लिये गये थे। इनके द्वारा तेलंगाना पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है।

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