विदेशों से निवेश 12 साल में सबसे कम, फिर भी शेयर बाजार बमबम! आखिर माजरा क्या है?

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विदेशों से निवेश 12 साल में सबसे कम, फिर भी शेयर बाजार बमबम! आखिर माजरा क्या है?


मुंबई: विदेशी निवेशक (Foreign Investors) इन दिनों भारतीय शेयर बाजारों से कुछ कम नेह लगा रहे हैं। तभी तो इस समय लिस्टेड कंपनियों (Listed Companies) में उनकी हिस्सेदारी 12 साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। हालांकि इसी दौरान शेयर बाजार में SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड में पैसा लगातार आ रहा है। देसी फंड हाउस अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। इससे बाजार से विदेशी निवेशकों की बेरुखी बेअसर होती जा रही है।


म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी ऑल टाइम हाई

राष्ट्रीय शेयर बजार (NSE) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीती मार्च तिमाही के दौरान भारत की लिस्टेड कंपनियों में म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी ऑल टाइम हाई होकर 8.9% पर पहुंच गई। वहीं, विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर 17.9% पर आ गई है। यह 12 साल का निचला स्तर है।


एक्टिव फंड में बढ़ रहा है निवेश

हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2024 तक म्यूचुअल फंड के पास जितने शेयर थे, उनमें से पैसिव फंड की हिस्सेदारी 1.7% पर स्थिर रही। बाकी 7.2% हिस्सेदारी एक्टिव फंड के पास थी। यह पिछली तिमाही से 11 बेसिस पॉइंट (100 बेसिस पॉइंट 1 प्रतिशत) ज्यादा है। पैसिव फंड निवेश में पैसिव (निष्क्रिय) रणनीति अपनाते हैं। ये सिर्फ इंडेक्स में निवेश करते हैं। इसलिए इन्हें पैसिव फंड कहते हैं।


MF का कितना निवेश आया

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि म्यूचुअल फंड ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारतीय शेयर बाजारों में कुल 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके साथ ही, पिछले तीन सालों में इनका कुल निवेश 5.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। AMFI के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 में SIP के जरिए कुल 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया।


FPI की हिस्सेदारी कम हुई ?

पिछली तिमाही के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी में गिरावट जारी रही। NSE में लिस्टेड कंपनियों में यह गिरावट 36 बेसिस पॉइंट की रही, जिससे उनकी हिस्सेदारी घटकर 17.9% हो गई। यह लगातार चौथी गिरावट है। यह गिरावट पिछले साल मजबूत विदेशी पूंजी फ्लो (253 बिलियन डॉलर) के बावजूद आई है। इसकी एक वजह फाइनेंसियल सेक्टर (खासकर निजी बैंकों) का पिछली तिमाही और पूरे साल कमजोर प्रदर्शन रहना है। यह ऐसा सेक्टर है, जहां FPI का निवेश ज्यादा है।

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