रजौली एसडीएम ने ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा कराया एक हजार रुपए का जुर्माना की राशि

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रजौली एसडीएम ने ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा कराया एक हजार रुपए का जुर्माना की राशि


-आरटीआई के तहत गलत सूचना देने पर लगा था जुर्माना, डीलर को बचाने के मामले में प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर से हुई थी कार्रवाई

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के उग्रवाद प्रभावित  रजौली के एसडीएम आदित्य कुमार पियुष ने अपने उपर लगे एक हजार रुपये जुर्माना की राशि को सरकार के खाते में जमा करा दिया है। ट्रेजार चालान के माध्यम से उन्होंने राशि जमा कराई है। सिरदला प्रखंड के एक डीलर को बचाने के आरोपों में उनपर जुर्माना लगा था। प्रमंडलीय आयुक्त, गया सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार द्वारा 7 फरवरी 23 को पारित आदेश में एसडीएम रजौली पर जुर्माना लगाया गया था। साथ ही भविष्य में ऐसी गलती का दोहराव नहीं करने की सख्त चेतावनी दी गई थी। 

हालांकि, आयुक्त के आदेश के बाद वे अपील में खाद्य उपोभक्ता विभाग के सचिव के पास अपील में गए थे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली थी। 



आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल द्वारा दायर वाद पर जुर्माना से संबंधित आदेश पारित किया गया था। जिले के सिरदला प्रखंड के एक डीलर का लाइसेंस बचाने में एसडीएम खुद ही फंस गए थे। 

एसडीएम रजौली ने सूचना के अधिकार के तहत प्रणव कुमार चर्चिल द्वारा मांगी गई सूचना के तहत 2 मार्च 2024 को भेजे जवाब में ट्रेजरी चालान का काउंटर फाइल संलग्न करते हुए कहा है कि अर्थदंड की राशि जमा करा दी गई है।   

क्या है पूरा मामला:-

एक जन वितरण दुकान का लाइसेंस लेने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया था। बात जब खुली तो आरोपित डीलर को बचाने के लिए सारा सिस्टम एक पैर पर खड़ा हो गया था। एक झूठ को सच साबित करने के लिए लगातार गलत पत्राचार किया गया। संबंधित अधिकारियों की गर्दन जब फंसने लगी तो डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।

जिले के रजौली अनुमंडल के सिरदला प्रखंड क्षेत्र का यह मामला था। जहां के धीरौंध पंचायत के नवाबगंज निवासी भोला लाल बर्नबाल के पुत्र विकास कुमार के नाम 2018 में जनवितरण दुकान का लाइसेंस 80/18 निर्गत किया गया था। लाइसेंस लेने के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता में स्नातक की डिग्री को संलग्न किया था। डिग्री बुंदेलखंड विश्व विद्यालय झांसी का था। 

डाली गई थी आरटीआई:-

डीलर विकास कुमार की डिग्री जाली होने के संदेह में एक आरटीआई अनुमंडल पदाधिकारी रजौली को दी गई, जिसमें विकास के सभी सर्टिफिकेट की अभिप्रमाणित प्रति की मांग की गई थी। आरटीआई से मांगी गई सूचना जो उपलब्ध कराई गई उसपर आवेदक संतुष्ट नहीं हुए। 

लोक शिकायत में पहुंचा मामला:-

आरटीआई के माध्यम से सही सूचना नहीं देने का जिक्र करते हुए प्रणव जिला लोक शिकायत में मामले को ले गए। सुनवाई के बाद अपील को यह कहकर खारिज कर दिया गया की विकास के प्रमाण पत्र का सत्यापन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से कराया गया है, जो सही पाया गया है। सत्यापन रिपोर्ट 6.12.21 की तिथि में पत्रांक reff.no. bu/conf./2021/2199 से एसडीओ रजौली कोर्ट प्राप्त हुआ था।

एसडीओ रजौली द्वारा जांच कराई गई थी। एसडीओ के रिपोर्ट के आधार पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी अजय कुमार प्रभाकर द्वारा जिला लोक शिकायत को पत्र भेजा गया था।

कमिश्नर के पास किया गया था अपील:-

आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव ने जिला लोक शिकायत द्वारा पारित आदेश को आयुक्त के पास चुनौती दी। आयुक्त स्तर से भी अपील को भी खारिज कर दिया गया था। डीएसओ की उसी रिपोर्ट को आधार बनाया गया जिसमें कहा गया था कि सर्टिफिकेट सत्यापन में सही पाया गया है।

आवेदक चले गए थे झांसी:-

आयुक्त से अपील खारिज होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय चले गए। जहां उन्होंने 6.7.22 को कुलसचिव को आवेदन देकर सर्टिफिकेट का सत्यापन करने का आग्रह किया। जिसके बाद सत्यापन में सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया। सत्यापन का प्रतिवेदन एसडीओ रजौली को भी भेजा गया।

रद्द किया गया अनुज्ञप्ति:-

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव का सत्यापन प्रतिवेदन आने के बाद डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। 

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग:-

डीलर का लाइसेंस रद्द होने के बाद प्रणव द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। 

मुख्य सचिव बिहार, डीएम नवादा, एसपी नवादा सहित अन्य वरीय अधिकारियों को प्रणव ने पत्र भेजकर एसडीओ रजौली आदित्य कुमार पीयूष, जिला आपूर्ति पदाधिकारी अजय कुमार प्रभाकर और लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कारी प्रसाद महतो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। 

सीधे तौर पर एफआईआर करने की मांग की गई थी। इन पदाधिकारियों पर सीधा आरोप लगाया गया था कि आरोपित को लाभ पहुंचाने के लिए साक्ष्य छिपाने का काम किया गया। इसके अलावा आयुक्त के समक्ष अपील भी दायर किया गया था। 

घटनाक्रम पर एक नजर:-

26.7.21 को एसडीओ से सूचना मांगी गई।

18.9.21 को एसडीओ द्वारा सूचना उपलब्ध कराई गई।

30.9.21 एसपी से शिकायत, कूट रचित सूचना उपलब्ध कराने का आरोप

21.12.21 को जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद दायर किया गया।

7.3.22 को जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद का निपटारा किया गया। सर्टिफिकेट को सही करार दिया गया।

17.3.22 को आयुक्त के कार्यालय में अपील दायर किया गया। 

18.4.22 को डीएसओ द्वारा पत्रांक 249 द्वारा आयुक्त कार्यालय कोए रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें सर्टिफिकेट को सही बताया गया।

21.5.22 को आयुक्त कार्यालय द्वारा अपील को खारिज किया गया। 

6.7.22 को प्रणव झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय पहुंचे, आवेदन दिया।

7.7.22 को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने पत्रांक बु. वि./गो./20222/3040 के माध्यम से विकास के सर्टिफिकेट को फर्जी बताया गया।

 16.7.22 को प्रणव ने दोषी अधिकारियों पीआर कार्रवाई के लिए डीएम, एसपी सहित अन्य वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा।

01 अगस्त 2022 को डीलर का लाइसेंस रद्द किया गया।

6 सितंबर 22 सामान्य प्रशासन विभाग ने डीएम नवादा से जांच रिपोर्ट की मांग की।

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