नई दिल्ली (ईएमएस)। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने अपना जबाव सुप्रीम कोर्ट को दिया है। नशे में धुत्त यात्रियों से निपटने के लिए एक एसओपी के तत्काल गठन की मांग करने वाली 72 वर्षीय महिला की याचिका का जवाब देते हुए डीजीसीए ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामे में कहा है कि सिविल ‘अनियंत्रित यात्रियों से निपटने’ के लिए सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (सीएआर) मौजूद हैं।
विमान में परोसे जाने वाली शराब की सीमा पर, डीजीसीए ने कहा कि सीएआर के क्लॉज 4.3 के अनुसार, यह हर एयरलाइन का विवेक है कि वह एक पॉलिसी तैयार करे ताकि यात्रियों को नशे में न छोड़ा जाए, जिससे उनके उपद्रव करने का खतरा बढ़ जाए। 72 वर्षीय महिला ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह डीजीसीए को निर्देश दे कि वह फ्लाइट पर अनियंत्रित/विघटनकारी व्यवहार से सख्ती से निपटने के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ एसओपी और नियम बनाए। साथ ही सभी एयरलाइनों में भी इस पॉलिसी को लागू किया जाए। इसी याचिका पर डीजीसीए की तरफ से हलफनामा दायर किया गया है।
महिला ने एयर इंडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि एयरलाइन के क्रू मेंबर्स ने इस संवेदनशील मुद्दे को लापरवाही से निपटाने में लापरवाही बरती। महिला ने कहा कि पहले क्रू मेंबर्स ने आरोपी सह-यात्री को अत्यधिक हार्ड ड्रिंक परोसी और फिर उस पर उसके साथ समझौता करने के लिए दबाव डाला। इसके अलावा, पुलिस को घटना की रिपोर्ट करने के अपने कर्तव्य में भी असफल रहे। बता दें कि बीते दिनों विमान में एक महिला यात्री के उपर एक अन्य यात्री द्वारा शराब के नशे में पेशाब कर दी थी, जिसके बाद विमान में शराब पीने के लेकर बहस छिडी हुई है।
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